गांधी जब हमेशा के लिए भारत वापस आ गए और अपने छूटे हुए देश को उन्होंने ग़ौर से देखना शुरू किया तो उन्हें प्रायः निराशा का सामना करना पड़ा। यह जितना अंग्रेज़ी हुक़ूमत के ज़ुल्म के अफ़सोस का था, उससे ज़्यादा अपने देशवासियों की जड़ता का।