परुशाराम की पत्नी श्वेता एन वी ने शिकायत की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अगर उनके पति उसी स्थान पर बने रहना था तो पिता-पुत्र की जोड़ी ने उनसे 30 लाख रुपये मांगे थे।
उत्तर प्रदेश की 80 और महाराष्ट्र की 48 यानी कुल मिलाकर 128 सीटों में से भाजपा केवल 50 सीटें जीत सकी। इन प्रदेशों में भाजपा 40 फ़ीसदी सीटें भी जीतने में कामयाब नहीं हुई। जानें वजह।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष रहे बिबेक देवराय से लेकर कर्नाटक के सांसद अनंत कुमार हेगड़े संविधान को बदलने का ऐलान कर रहे हैं। तो क्या 2024 में संघ की हिंदू राष्ट्र की कोशिश को कामायाबी मिल पाएगी?
इलेक्टोरल बॉन्ड से कथित धोखाधड़ी का एक अजीबोगरीब मामला सामने आ गया है। एक दलित किसान की जमीन के बदले मिले मुआवजे को ही कथित तौर पर चुनावी बॉन्ड से चंदा दिलवा दिया गया। जानिए, क्या है पूरा मामला।
क्या देश में दलित और मुस्लिम भी बाक़ी लोगों से उसी तरह घुले-मिले हैं जैसे बाक़ी के लोग? यदि ऐसा है तो फिर दलितों और मुस्लिमों की बसावट अलग-अलग क्यों? क्या उन क्षेत्रों में सुविधाएँ भी बाक़ी हिस्सों की तरह हैं?
दलितों और पिछड़ों के साथ जैसा भेदभाव समाज में होता है, क्या वैसा ही भेदभाव मीडिया में भी होता है? यदि मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व नहीं होगा तो उनके मुद्दे क्या सही से उठेंगे?
ईसाई, मुसलिम बनने वाले अनुसूचित जाति के लोगों की स्थिति कैसी है, यह जानने के लिए सरकार कमेटी बनाने पर विचार क्यों कर रही है? जानिए, इसका मक़सद क्या है।
मोहन भागवत जब यह कहते हैं कि देश के हिन्दू-मुसलमान सबका डीएनए एक है तो इसके क्या मायने हैं? क्या इसमें दलित, आदिवासी और मुसलमानों का समावेशी विकास भी शामिल है?
हमारे लेखकों, साहित्यकारों ने दलित समाज के कष्टों, अपमान और संघर्षों को अपनी लेखनी के माध्यम से पूरे विश्व के सामने रखा। दलति साहित्य के बारे में बता रहे हैं शैलेंद्र चौहान।
पिछले कुछ सालों से देश में दलित-मुस्लिम एकता का शोर मचा हुआ है। यह कोई बात नहीं है। आज़ादी के पहले मुस्लिम लीग ने भी कुछ ऐसा ही नारा दिया था। इस नारे के पीछे की सचाई क्या है?
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के निर्देश पर दलित इंडियन चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के शोध विंग ने एक रिपोर्ट में कहा है कि अभ्यर्थियों के उपनाम छुपा दिए जाएँ तो उनको बराबरी का मौक़ा मिल सकता है।
भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने विगत 8 फ़रवरी को न्यूज़ चैनलों के स्व-नियमन संस्था को लिखा है कि कुछ चैनलों ने अपनी ख़बरों में दलित शब्द का प्रयोग किया है जो प्रोग्राम कोड के तीन उपबंधों का उल्लंघन है।