देश में खाई अमीरी-गरीबी की ही नहीं है। गहरी खाई दलित बस्तियों और आम बस्तियों के बीच भी है। मुस्लिम बस्तियों और आम बस्तियों के बीच भी ऐसी ही खाई है। यह खाई दरअसल इन बस्तियों तक सुविधाओं की पहुँच को लेकर है। ये बस्तियाँ आम या मुख्य बस्तियों से इसलिए अलग-थलग हो जाती हैं कि उसमें अधिकतर उन्हीं समुदायों के लोग रहते हैं। दलित बस्तियों में अधिकतर दलित और मुस्लिम बस्तियों में अधिकतर मुस्लिम। यह खाई ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में है। ऐसी बस्तियों में स्कूल जैसी सामान्य नागरिक सुविधाएँ भी पहुँच नहीं पाती हैं। यह बात डेवलपमेंट डाटा लैब के शोध में सामने आयी है।