कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जो बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे की जिस रणनीति पर चल रही है, क्या वह दूसरे राज्यों के चुनावों में भी चलेगी? या फिर पार्टी की रणनीति बदलेगी?
विवेकानंद ने महज 30 साल की उम्र में शिकागो (अमेरिका) में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में अपने ऐतिहासिक वक्तव्य के माध्यम से भारत की एक वैश्विक सोच को सामने रखते हुए हिंदू धर्म का उदारवादी चेहरा दुनिया के सामने रखा था। पूरी दुनिया ने उनके भाषण को सराहा था।
गुजरात में बीजेपी को क्या उन बड़े नेताओं की ओर से है भितरघात की आशंका है जिन्हें इस बार उम्मीदवार नहीं बनाया है या पहले भी जिन्हें चुनाव लड़ने से रोका गया था?
गुजरात विधानसभा चुनाव और दिल्ली नगर निगम चुनाव एक साथ होने के पीछे क्या कोई रणनीति है? और यदि यह बीजेपी की रणनीति थी तो वह अपने मक़सद में कितनी कामयाब हुई है?
गुजरात विधानसभा चुनाव में आख़िर खेल क्या चल रहा है? इस बार किन दो दलों के बीच में मुक़ाबला होने जा रहा है? बीजेपी-कांग्रेस या फिर बीजेपी-आप? समझिए, गुजरात में राजनीतिक दाँव-पेच क्या है।
छह साल में नोटबंदी से कोई फायदा भी हुआ? यदि ऐसा हुआ तो सरकार ने उन फायदों को गिनाती क्यों नहीं? क्यों नहीं प्रधानमंत्री मोदी नोटबंदी का ज़िक्र भी करते हैं?
क्या यातायात नियमों के उल्लंघन की छूट दी जा सकती है? गुजरात के गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने ऐलान किया था कि एक हफ़्ते के लिए यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के चालान नहीं काटे जाएंगे।
समाजवादी नेता रहे मुलायम सिंह का आज निधन हो गया। उनको सामाजिक न्याय के संघर्ष से जोड़कर देखा जाता रहा है। तो आख़िर नेताजी को कैसे याद किया जाएगा? जानिए, उनकी राजनीति कैसी रही है।
चुनाव आयोग के द्वारा राजनीतिक दलों से यह कहना कि वे बताएं कि लोगों से किए गए वायदों को पूरा करने के लिए उनके पास क्या योजना है और पैसा कहां से आएगा, इसका क्या मतलब है?
कभी राष्ट्रपिता गांधी ने देश के माहौल से तंग आकर लंबे समय तक जीने की तमन्ना छोड़ दी थी। अब तो खैर हमारे प्रधानमंत्री को इस दौर का राष्ट्रपिता कहा जा रहा है। बेशक वो किसी का जुमला है लेकिन हम खुद से सवाल करें कि अगर महात्मा गांधी इस समय जिन्दा होते तो अब क्या कहते या क्या करते।
आज हिंदी दिवस है। इस खास मौके पर यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि हिंदी की मौजूदा स्थिति कैसी है? यह दलील क्यों दी जाती है कि अंग्रेजी के प्रति नफरत का वातावरण बनाया गया तो यह देश टूट जाएगा?
राज्यों में विधानसभा चुनावों में बीजेपी अपने क्षेत्रीय नेताओं को चेहरा क्यों नहीं बना रही है? क्या अगले चुनावों में वह ऐसा करेगी या फिर प्रधानमंत्री मोदी ही चेहरा होंगे? जानिए इसके पीछे की वजह।
आरएसएस ने लंबे वक्त तक तिरंगा क्यों नहीं फहराया। क्या बीजेपी और संघ के वैचारिक पुरखों का भारत के स्वाधीनता आंदोलन और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे से जुड़ाव नहीं था?
राष्ट्रपति के चुनाव में विपक्ष एकजुट क्यों नहीं दिखा? राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में क्या विपक्ष कभी कभी एकजुट हुआ भी है? जानिए, यशवंत सिन्हा के मामले में विपक्ष का रवैया कैसा रहा।
ईडी के द्वारा नेशनल हेराल्ड मामले में समन किए जाने के बाद कांग्रेस ने दिल्ली सहित देश के तमाम बड़े शहरों में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। लेकिन ऐसे प्रदर्शन वह जनता से जुड़े मुद्दों पर क्यों नहीं करती?