देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी इस समय अपने इतिहास के जिस चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है, उसमें उसे जैसा अध्यक्ष चाहिए था, वह उसे मिल गया। कांग्रेस को न तो शशि थरूर जैसे अंग्रेजीदाँ अध्यक्ष की ज़रूरत थी और न अशोक गहलोत जैसे अनमने और या दिग्विजय सिंह जैसे सस्ती बयानबाजी करने वाले अध्यक्ष की। उसे मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे अध्यक्ष की ही ज़रूरत थी और वह उसे मिल गया।

कांग्रेस के नये अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कितना बदल पाएँगे पार्टी को? खड़गे कितना और किस तरह के फ़ैसले ले पाएँगे?
कांग्रेस को ज़रूरत थी एक बेदाग छवि वाले अध्यक्ष की, उसे ज़रूरत थी पार्टी के कोर बिंदुओं को समझने वाले अध्यक्ष की और ज़रूरत थी ऐसे अध्यक्ष की जिसे गांधी परिवार का पूरी तरह भरोसा हासिल हो। इन सभी कसौटियों पर खड़गे हर तरह से खरे उतरते हैं। कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में मल्लिकार्जुन खड़गे 65वें और दलित समुदाय से आने वाले दूसरे अध्यक्ष हो गए हैं। इससे पहले बाबू जगजीवन राम कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले पहले दलित नेता थे।