भारतीय जनता पार्टी में वाजपेयी-आडवाणी का युग खत्म होने और मोदी-शाह का युग शुरू होने के बाद कई चीजें बदली हैं। लेकिन वाजपेयी-आडवाणी के दौर के कई सूबेदार यानी प्रादेशिक क्षत्रप आज भी चुनाव के लिहाज से पार्टी के लिए अपनी प्रासंगिकता और जरूरत बनाए हुए हैं। मोदी-शाह चाह कर भी इन क्षत्रपों को किनारे नहीं कर पाए हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान में वसुंधरा राजे, कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा, झारखंड में बाबूलाल मरांडी और बिहार में सुशील कुमार मोदी ऐसे ही क्षत्रपों की श्रेणी में आते हैं।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जो बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे की जिस रणनीति पर चल रही है, क्या वह दूसरे राज्यों के चुनावों में भी चलेगी? या फिर पार्टी की रणनीति बदलेगी?
इस समय कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जिस पर भाजपा के इन क्षत्रपों की निगाहें लगी हुई हैं। इन क्षत्रपों का राजनीतिक भविष्य काफी कुछ कर्नाटक के चुनाव नतीजों से तय होगा। भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर गुजरात फॉर्मूला लागू होगा या नहीं, इसका फैसला कर्नाटक से होना है। इस लिहाज से कह सकते हैं कि कर्नाटक का चुनाव भाजपा के लिए एक बड़ा प्रयोग है। बीएस येदियुरप्पा को हटा कर बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाना और उनकी कमान में चुनाव लड़ने के लिए उतरना एक बड़ा दांव है, जिसकी सफलता से भाजपा की राजनीति में बहुत कुछ तय होगा।