पिछले सात-आठ वर्षों से वैसे तो केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ दल की ओर से कैलेंडर देख कर हर मौक़े पर कोई न कोई इवेंट होता रहता है। यहाँ तक कि कोरोना महामारी के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर ताली-थाली, दीया-मोमबत्ती-आतिशबाजी, अस्पतालों पर विमानों से फूल-वर्षा और टीका महोत्सव जैसे आयोजन हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित तमाम योजनाओं को उपलब्धि की तरह पेश करते हुए आयोजन किए जाते हैं, भले ही उन योजनाओं के कोई सकारात्मक परिणाम न मिले हों। लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा लागू की गई नोटबंदी का कोई ज़िक्र न तो सरकार की ओर से किया जाता है और न ही भारतीय जनता पार्टी कभी उसका नाम लेती है।

छह साल में नोटबंदी से कोई फायदा भी हुआ? यदि ऐसा हुआ तो सरकार ने उन फायदों को गिनाती क्यों नहीं? क्यों नहीं प्रधानमंत्री मोदी नोटबंदी का ज़िक्र भी करते हैं?
इससे पहले भी आठ नवंबर को नोटबंदी की बरसी पर सरकार और सत्तारूढ़ दल दोनों मौन रहते रहे हैं। इस बार भी दोनों चुप्पी साधे रहे। अलबत्ता इस बार भी सोशल मीडिया में नोटबंदी छाई रही। आम लोगों ने अपनी तकलीफें साझा कीं और प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों के उस समय के भाषणों व बयानों के वीडियो क्लिप शेयर करते हुए उनका मजाक उड़ाया।