भारतीय जनता पार्टी गुजरात में अपने यहाँ हिमाचल प्रदेश जैसी व्यापक पैमाने पर बगावत रोकने में सफल रही है लेकिन पार्टी नेतृत्व भितरघात की आशंका से मुक्त नहीं है। बगावत थामने के लिए खुद गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला और भरोसेमंद नेताओं की टीम बना कर उन्हें असंतुष्टों और बागी उम्मीदवारों को मनाने के काम में लगाया, जिससे बागी उम्मीदवारों की संख्या बहुत ज़्यादा नहीं बढ़ पाई।

गुजरात में बीजेपी को क्या उन बड़े नेताओं की ओर से है भितरघात की आशंका है जिन्हें इस बार उम्मीदवार नहीं बनाया है या पहले भी जिन्हें चुनाव लड़ने से रोका गया था?
बीजेपी ने क़रीब 35 विधायकों के टिकट काटे लेकिन छह-सात विधायकों और पूर्व विधायकों के अलावा कोई बड़ा नेता बागी होकर चुनाव नहीं लड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश में तो 68 ही सीटें हैं लेकिन वहाँ 21 नेता बागी होकर चुनाव लड़े। इसके मुक़ाबले 182 सीटों वाले गुजरात में यह संख्या बहुत कम रही।