गुजरात में डॉक्टर बनने का सपना लिए एक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने वाली दलित छात्रा को जान गँवानी पड़ गई। वह उत्पीड़न, बुलिइंग और दुर्व्यवहार से परेशान थी। यह रैगिंग नहीं थी। ऐसा उत्पीड़न सीनियर छात्रों ने नहीं किया था। बल्कि उसको पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसरों पर ही ऐसे उत्पीड़न का आरोप है। वह प्रथम वर्ष की छात्रा थी और यह सब सह नहीं सकी। उसने सुसाइड नोट में प्रोफेसरों के नाम भी लिखे हैं। पुलिस अब तक चार्जशीट भी दाखिल नहीं कर पाई है। घटना के एक महीने बाद भी उसके परिजन न्याय मांगते फिर रहे हैं और यह पता लगाने में हैं कि आख़िर उनकी बेटी की ग़लती क्या थी।
दलित छात्रा के सुसाइड नोट में प्रोफ़ेसरों पर प्रताड़ना का आरोप, न्याय मांग रहे परिजन
- गुजरात
- |
- |
- 28 Feb, 2025
गुजरात के एक दलित होम्योपैथी छात्र ने अपने सुसाइड नोट में प्रताड़ना का आरोप लगाया है, जिसके बाद परिवार ने न्याय की मांग की है। जानिए छात्रा को आख़िर आत्महत्या के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा।

उनके परिजनों का क्या कहना है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर यह घटना क्या थी और छात्रा ने सुसाइड नोट में क्या लिखा है। यह मामला मेहसाणा के पास बसना मर्चेंट मेडिकल कॉलेज फॉर होम्योपैथी का है। प्रथम वर्ष की बीएचएमएस छात्रा ने जनवरी महीने के आख़िर में अपने छात्रावास के कमरे में आत्महत्या कर ली। आरोप लगा कि चार प्रोफेसरों द्वारा उनका लगातार मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न किया जा रहा था। आरोप कॉलेज प्रिंसिपल की निष्क्रियता पर भी लगा। पांचों- प्रोफेसर वी एस राव वासनिक, प्रशांत नुवाल, वाई सी बोस, डॉ. संजय रीठे और प्रिंसिपल कैलाश पाटिल- पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया।