बहुचर्चित पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 1997 के हिरासत में यातना मामले में बहुत बड़ी राहत मिली है। गुजरात के पोरबंदर की एक अदालत ने उनको बरी कर दिया है। आरोप लगाने वाला पक्ष सबूत नहीं दे पाया और संदेह का लाभ देते हुए भट्ट को बरी किया गया। भट्ट पर कम से कम दो ऐसे मामले हैं जिनमें उनको बेहद लंबी सजा मिली है। इसमें से एक में तो आजीवन कारावास और दूसरे में 20 साल की सजा शामिल है। एक और मामले में वह आरोपी हैं।
पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट 1997 के हिरासत में यातना मामले में बरी
- गुजरात
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- सत्य ब्यूरो
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- 8 Dec, 2024
पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट फ़िलहाल राजकोट सेंट्रल जेल में बंद हैं। 1997 वाले हिरासत में यातना मामले में बरी किए जाने से क्या वह जेल से बाहर निकल पाएँगे? जानिए, नरेंद्र मोदी से नाम कैसे जुड़ा रहा है उनका।

संजीव भट्ट दो दशक से ज़्यादा समय से सुर्खियों में रहे हैं। पहले जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब से ही। भट्ट तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर किया था। एक विशेष जांच दल ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। उन्हें 2011 में सेवा से निलंबित कर दिया गया था और अगस्त 2015 में गृह मंत्रालय ने अनधिकृत अनुपस्थिति के लिए उन्हें बर्खास्त कर दिया था।
- Sanjeev Bhatt Custodial Death Case