संविधान के 75 वर्ष हो गए हैं तो इन सालों में संविधान किस स्तर पर पहुँच पाया है? क्या संविधान के उन मूल्यों का पालन हो रहा है जो स्वाधीनता संग्राम के दौरान उपजे?
द इंडियन एक्सप्रेस में तवलीन सिंह ने एक लेख लिखा है और उन लोगों की आलोचना की है जो हिन्दू राष्ट्रवादियों की नीतियों और कार्यक्रमों की तुलना तालिबान से करते हैं। तवलीन सिंह के तर्कों पर राम पुनियानी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
आज हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें हर मस्जिद को खोदकर देखना चाहिए कि उसके नीचे क्या कोई मन्दिर है? या फिर हमें पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में ‘आधुनिक मन्दिरों’ का निर्माण करना चाहिए।
देश की फिजा में अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों को लेकर घुलते जहर पर कम ही लिखा जा रहा है। देश के जाने-माने चिंतक राम पुनियानी कह रहे हैं कि मुसलमान अपने मोहल्लों में सिमट रहे हैं और “दूसरे दर्जे के नागरिक” बनने के करीब पहुँच रहे हैं। पढ़िए उनकी विचारोत्तेजक टिप्पणीः
देवेंद्र फडणवीस ने एक साक्षात्कार में और कई भाषणों में 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के बुरे प्रदर्शन का ठीकरा भारत जोड़ो यात्रा पर फोड़ा। तो सवाल है कि आखिर भारत जोड़ो यात्रा का असर किस तरह हुआ?
ऐसी ग़लत धारणाएँ लोगों में क्यों आ गईं कि आर्य इस देश के मूल निवासी थे, प्राचीन भारत में संपूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान उपलब्ध था, ‘हमारे पास’ पुष्पक विमान था, प्लास्टिक सर्जरी थी, जेनेटिक इंजीनियरिंग थी और न जाने क्या-क्या था?
जुलूसों में भाग लेने वाले हथियार लिए क्यों होते हैं, इनको जानबूझकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों बीच से क्यों निकाला जाता है, तेज आवाज़ में संगीत क्यों बजाया जाता है और भड़काऊ नारे क्यों लगाए जाते हैं?
क्या पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने का न्यौता दिया था? क्या संघ के 3000 स्वयंसेवक 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए थे? क्या नेहरू ने कभी संघ की तारीफ़ की थी? जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता एवं इतिहास के जानकार प्रो. राम पुनियानी से प्रो. मुकेश कुमार की बातचीत-
भाजपा के नेतृत्व वाले महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन ने गाय (मगर केवल देसी गाय) को राज्यमाता-गौमाता घोषित किया है। आख़िर यह फ़ैसला क्यों लिया गया? जानिए, सावरकर की क्या राय थी।
तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय अवधारणा नहीं है, यह यूरोपीय अवधारणा है। तो क्या भारत में कुछ लोग धर्मनिरपेक्षता का विरोध करते हैं, यदि करते हैं तो किस आधार पर?
निजाम हैदराबाद रियासत के भारत में विलय का दिवस 17 सितंबर है। कांग्रेस और भाजपा इसे अपने-अपने ढंग से मनाते और मानते हैं। क्या हैदराबाद का विलय भारतीय नेतृत्व के इस्लामोफोबिया का नतीजा था। बिल्कुल नहीं। नेहरू और पटेल ने कुछ अन्य वजहों से निजाम हैदराबाद का विलय 1948 में भारत में कराया। हैदराबाद के मुसलमानों ने भी नेहरू-पटेल की नीति का समर्थन किया था। इतिहास के इस सच को बता रहे हैं जाने-माने चिंतक राम पुनियानीः
लोकसभा चुनाव 2024 के उत्साहजनक नतीजों के बाद यह ढिंढोरा पीटा गया कि आरएसएस के सक्रिय नहीं होने से भाजपा की कम सीटें आईं और गठबंधन की सरकार बनाना पड़ी। मगर यह मानना भूल होगी कि आरएसएस चुनाव में भाजपा की हार चाहता था। भाजपा की गाड़ी का स्टीयरिंग व्हील अब भी आरएसएस के हाथों में है। संघ पिछली सीट पर बैठ कर गाड़ी चला रहा है।