भारत का स्वाधीनता संग्राम बहुवादी था और उसका लक्ष्य था धर्मनिरपेक्ष एवं प्रजातान्त्रिक मूल्यों की स्थापना। यह हमारे संविधान की उद्देशिका से भी जाहिर है, जिसमें स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे मूल्यों को स्थान दिया गया है। संविधान के कई अनुच्छेदों का लक्ष्य सामाजिक न्याय की स्थापना है। समानता से आशय है हर नागरिक - चाहे उसकी जाति, लिंग या धर्म कोई भी हो - को समान दर्जा देना। संविधान के अधिकांश प्रावधान धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों पर आधारित हैं।