गाय पिछले तीन दशकों से भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भावनात्मक मुद्दा बनी हुई है। गाय को एक पवित्र पशु बताया जाता है। कई हिंदुओं के लिए गाय मां का दर्जा रखती है और हिंदू राष्ट्रवादी राजनीति ने समाज के ध्रुवीकरण के लिए इस आस्था का भरपूर इस्तेमाल किया है। हिंदुत्वादी विचारकों ने ‘हिंदुत्व’ शब्द को मात्र हिंदू धर्म नहीं बल्कि ‘समग्र हिंदुत्वता’ का प्रतिनिधित्व करने वाला शब्द बताया और आरएसएस ने इसी आधार पर अपनी राजनीति और हिंदू राष्ट्र के अपने लक्ष्य को निर्धारित किया। और वह लगभग पिछले 100 सालों से इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लगातार प्रयासरत है। पिछले तीन दशकों में आरएसएस की राजनीति की जड़ें बहुत मज़बूत हुई हैं क्योंकि उसके द्वारा उठाए जाने वाले भावनात्मक मुद्दे देश के राजनीतिक परिदृश्य पर हावी हैं।
महाराष्ट्र में राज्यमाता गाय और सावरकर के विचार!
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- 17 Oct, 2024

भाजपा के नेतृत्व वाले महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन ने गाय (मगर केवल देसी गाय) को राज्यमाता-गौमाता घोषित किया है। आख़िर यह फ़ैसला क्यों लिया गया? जानिए, सावरकर की क्या राय थी।
गाय का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। भाजपा के नेतृत्व वाले महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन ने गाय (मगर केवल देसी गाय) को राज्यमाता-गौमाता घोषित किया है। यह पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि ऐसा महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के मद्देनजर किया गया है। आम धारणा यह है कि भाजपा इन चुनावों में सशक्त स्थिति में नहीं है। हाल में हुए लोकसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है और उसके बाद से वह लगातार इस तरह के ध्रुवीकृत करने वाले मुद्दों का सहारा लेने के प्रयास में जुटी हुई है।