हाल (31 दिसंबर 2024) में शिवगिरी तीर्थयात्रा के सिलसिले में आयोजित एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने स्वामी सच्चिदानंद के इस प्रस्ताव का समर्थन किया कि मंदिरों में प्रवेश करते समय पुरुषों द्वारा कमीज उतारने और शरीर के ऊपरी हिस्से पर कोई वस्त्र न पहनने की प्रथा को समाप्त किया जाए। यह माना जाता है कि यह परंपरा इसलिए स्थापित हुई ताकि उन लोगों की पहचान हो सके जो जनेऊ नहीं पहने हुए हैं। जनेऊ पहनने का अधिकार सिर्फ उच्च जातियों के लोगों को था। कुछ लोग इस व्याख्या पर शंका जाहिर करते हैं लेकिन धड़ को खुला करने की कोई और वजह रही होगी, इसकी संभावना बहुत कम है। जनेऊ न पहने हुए लोगों का मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित रहता था। विजयन ने यह भी कहा कि ऐसा प्रचार किया जा रहा है कि सुप्रसिद्ध समाज सुधारक नारायण गुरु, सनातन परंपरा का हिस्सा थे। यह दावा बिल्कुल ग़लत है क्योंकि नारायण गुरु ‘एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर’ के नज़रिए का प्रचार करते थे और जाति और धर्म के बंधनों से परे समानता का भाव, सनातन धर्म की मूलभूत मान्यताओं के एकदम विपरीत है।
क्या नारायण गुरु सनातन धर्म का हिस्सा हैं?
- विचार
- |
- |
- 17 Jan, 2025

क्या नारायण गुरु ‘एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर’ के नज़रिए का प्रचार करते थे? जानिए, हाल ही में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने क्या कहा है।
विजयन ने यह भी कहा कि गुरु का जीवन एवं उनके कार्य आज भी अत्यंत प्रासंगिक हैं क्योंकि इन दिनों धार्मिक भावनाओं का उपयोग हिंसा भड़काने के लिए किया जा रहा है। नारायण गुरु मात्र एक धार्मिक नेता नहीं थे, वे एक महान मानवतावादी थे। विजयन के विरोधी यह कहकर उनकी आलोचना कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान हिंदुओं को तंग किया जा रहा है। वे सबरीमाला का उदाहरण देते हैं जिसके मामले में सत्ताधारी दल ने सर्वोच्च न्यायालय के उस फ़ैसले का समर्थन करने का फ़ैसला किया था जिसमें न्यायालय ने रजस्वला स्त्रियों को भी पवित्र मंदिर में प्रवेश की इजाजत देने का आदेश दिया था। भाजपा के प्रवक्ता इस मामले में भी विजयन पर सनातन धर्म का अपमान करने का आरोप लगा रहे हैं।