इस 14 अप्रैल (2025) को देश ने आंबेडकर जयंती मनाई. कई लोग इस दिन को ‘समानता दिवस‘ के रूप में मनाते हैं, जो पूरी तरह उपयुक्त है. देश भर में इस अवसर पर व्याख्यान और संगोष्ठियां आयोजित की गईं जिनमें समानता एवं लोकतंत्र के पक्षधर आंदोलनों एवं उनसे संबंधित विचारधारा के अग्रदूत डॉ आंबेडकर के विचारों और मूल्यों को याद किया गया. दिलचस्प बात यह है कि जिनका एजेंडा हिंदू राष्ट्र का है, जो आंबेडकर के मूल्यों के धुर विरोधी हैं और जिनकी विचारधारा का आधार 'मनुस्मृति' है, वे भी इस दिन उनकी तारीफों के पुल बांधते हैं. उनका पवित्र ग्रन्थ 'मनुस्मृति' जाति प्रथा एवं पितृसत्तात्मकता के मूल्यों की वकालत करता है.