प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हाल में नागपुर-स्थित आरएसएस मुख्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने आरएसएस के संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार और द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर को श्रद्धांजलि दी। इस यात्रा का खूब प्रचार हुआ और इसकी सर्वत्र चर्चा हो रही है। कुछ लोगों का कयास है कि चूँकि अगले सितम्बर में मोदी 75 साल के हो जाएंगे और अपनी पार्टी के नियमों के अनुसार उन्हें सक्रिय राजनीति से संन्यास लेना होगा, इसलिए यह उनकी फेयरवेल यात्रा थी!
आरएसएस मुख्यालय में मोदी: क्या यह संघम् शरणं गच्छामि है?
- विचार
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- 5 Apr, 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आरएसएस मुख्यालय में मौजूदगी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। क्या यह महज औपचारिकता है या 'संघम शरणं गच्छामि' की राजनीतिक प्रतीकात्मकता? जानिए इसके मायने और निहितार्थ।
इस बीच कई घटनाओं से ऐसा लग रहा है कि पिता (आरएसएस) और बेटे (भाजपा) के रिश्तों में कुछ खटास आ गयी है। सन 2024 के आमचुनाव से पहले भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा था कि भाजपा अब अपने पैरों पर खड़ी हो गयी है और उसे आरएसएस के समर्थन की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इसके पहले तक भाजपा इतनी मज़बूत नहीं थी इसलिए उसे वोट हासिल करने के लिए आरएसएस की मदद की दरकार रहती थी।