आरजेडी सांसद मनोज झा ने संसद में एक कविता क्या पढ़ दी, बिहार में मामला जातिवादी हो गया। इससे यह साबित हुआ कि कविता का असर होता है। मनोज झा ने जो कविता पढ़ी, वो उनकी अपनी नहीं थी। उन्होंने ओमप्रकाश बाल्मीकि की कविता पढ़ी थी। कविताएं हर देश में हर युग में महत्वपूर्ण रही हैं। कविताएं क्रांति कर सकती हैं। राकेश अचल के इस उद्गार को पढ़िए और फिर उसके बाद कोई अच्छी सी कविता तलाश कर पढ़िए। मुमकिन हो तो सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, फैज अहमद फैज और अदम गोंडवी को पढ़िए।