loader

NDA के दो सहयोगी कोटे पर सुप्रीम जजमेंट के खिलाफ, जाति जनगणना का समर्थन

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और रामदास अठावले दोनों ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में आवाज उठाई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने राज्यों को 15 फीसदी आरक्षण कोटे के हिस्से में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के भीतर उप-समूह बनाने की अनुमति देता है। इन दलों ने जाति जनगणना का समर्थन किया है। जिसकी मांग कांग्रेस समेत सारे विपक्षी दल भी कर रहे हैं।

पासवान ने घोषणा की कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी, जबकि, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के प्रमुख रामदास अठावले ने भी एससी और एसटी आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर मानदंड लागू करने के किसी भी कदम को खारिज कर दिया। यानी अठावले ने कहा कि अगर कथित क्रीमी लेयर को मिले कोटे में कमी की गई तो उसका विरोध होगा।

ताजा ख़बरें

चिराग पासवान ने कहा, "हमारी पार्टी 15 प्रतिशत एससी कोटे के भीतर उप-समूहों को अनुमति देने वाले हालिया फैसले की समीक्षा करने के लिए शीर्ष अदालत से अपील करेगी। एससी कोटा में क्रीमी लेयर को अनुमति नहीं दी जा सकती। एससी कोटा के भीतर उप-समूहों को अनुमति देने से सामाजिक रूप से हाशिए पर रहने वाले वर्ग के उत्थान का मकसद पूरा नहीं होगा जो छुआछूत का शिकार रहा है।"

हाजीपुर से सांसद पासवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला छुआछूत के मुद्दे को हल करने में नाकाम रहा। उन्होंने तर्क दिया कि अनुसूचित जाति समुदायों के अच्छी तरह से शिक्षित और आर्थिक रूप से स्थिर व्यक्तियों को भी छुआछूत का सामना करना पड़ता है, जिससे एससी वर्ग के भीतर उप-समूहों की अनुमति अनुचित है।
  • पासवान ने अपने गठबंधन सहयोगी जेडीयू के इस रुख पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जिसने फैसले का समर्थन किया है। जेडीयू ने इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों की मान्यता के रूप में देखा है, जिन्होंने वर्षों पहले राज्य में "महादलित" श्रेणी बनाई थी।

  • टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक पासवान ने जाति जनगणना के लिए भी समर्थन व्यक्त किया। यही मांग विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी की है। हालाँकि, पासवान ने कहा कि ऐसी जनगणना के निष्कर्षों को "सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए।"

केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर मानदंड लागू करने के किसी भी प्रयास का विरोध किया। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के नेता अठावले ने हालांकि स्वीकार किया कि राज्यों द्वारा एससी/एसटी के उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इन समुदायों के भीतर अधिक वंचित जातियों के लिए निष्पक्षता की स्थिति बनेगी।

अठावले ने भाजपा के सहयोगी और एनडीए सदस्य के रूप में अपनी पार्टी के रुख पर प्रकाश डालते हुए कहा, "एससी/एसटी के लिए आरक्षण जाति पर आधारित है। आरपीआई (ए) एससी और एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर के मानदंड लागू करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेगी।" अठावले ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और सामान्य श्रेणी के सदस्यों के लिए समान उप-वर्गीकरण लागू करने की वकालत की।

सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले ने राज्यों को सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व की डिग्री के आधार पर अनुसूचित जाति के भीतर जातियों को उप-वर्गीकृत करने की अनुमति दी। जिससे यह तय किया जा सके कि 15 प्रतिशत एससी कोटा से उनमें से सबसे पिछड़े लोगों को लाभ मिले। बता दें कि अदालत ने सरकारों को एससी और एसटी के बीच 'क्रीमी लेयर' को आरक्षण लाभ से बाहर करने के लिए मानदंड विकसित करने का भी निर्देश दिया। यानी क्रीमी लेयर को आरक्षण लाभ से बाहर कर दिया जाए।

देश से और खबरें

अनुसूचित जातियों के लिए 'कोटा के भीतर कोटा' की अवधारणा पर राजनीतिक और इसके प्रभाव को कम करने के लिए, अदालत ने स्पष्ट किया कि उप-वर्गीकरण सरकारी सनक या राजनीतिक विचारों पर आधारित नहीं होना चाहिए। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि उप-वर्गीकरण पिछड़ेपन के संबंध में योग्य डेटा पर आधारित होना चाहिए। यानी जिस वर्ग के महादलित जाति को आप आरक्षण देने जा रहे हैं तो उसका डेटा पहले से मौजूद होना चाहिए। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें