सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया था कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के भीतर उप-वर्गीकरण ठीक है। राज्यों को भी ऐसा करने का अधिकार है। उसे इस पर ऐतराज नहीं है। यह फैसला उन जातियों के हक में है जिनमें अति पिछड़े लोग हाशिए पर हैं और आरक्षण का लाभ नहीं पा सके हैं। क्योंकि सारा लाभ क्रीमी लेयर ले गई। इस फैसले का दलित संगठनों और दलित नेताओं ने तो विरोध किया ही है। लेकिन शनिवार को मोदी सरकार यानी एनडीए के दो सहयोगियों चिराग पासवान और रामदास आठवले की पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया है। इन दोनों नेताओं ने जाति जनगणना का समर्थन किया है।