मुझे अपने पत्रकार होने पर जितना गर्व आज नहीं है जितना की कवि होने पर है। हालाँकि मै रजिस्टर्ड कवि नहीं हूँ। बिहार के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक पर बहस कि दौरान ओमप्रकाश बाल्मीक की कविता पढ़कर जो कमाया है उसे देखकर मुझे एक बार फिर महसूस हो रहा है कि कविता का ' अम्ल ' अभी कायम है । फिर कविता चाहे ओमप्रकाश बाल्मीक लिखें या असंग घोषया राकेश अचल।