संविधान बचाने की बात करते हुए भाजपा विरोधी दल ज़रूर आरक्षण पर जोर दे रहे थे और संविधान पर आँच का मतलब आरक्षण पर आंच बताकर दलित और पिछड़ों को अपनी ओर गोलबंद करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे जाति इस बार के चुनाव का एक बड़ा विमर्श बन जाएगा और इसी से भाजपा को दिक्कत होने लगेगी, इसका अंदाजा शायद ही किसी को था। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि राहुल गांधी ने हाल में हुए विधानसभा चुनावों में जातिवार जनगणना का सवाल बहुत जोर-शोर से उठाया था और कांग्रेस उन राज्यों में भी बुरी तरह हारी जहां उसकी स्थिति अच्छी लग रही थी। कहते हैं कि मध्य प्रदेश के कुछ बड़े कांग्रेसी नेताओं ने प्रदेश में जाति के सवाल को न छेड़ने की सलाह देने के साथ इंडिया गठबंधन की बैठक नहीं होने दी या उसके नेताओं को चुनाव प्रचार में आने नहीं दिया।