बिहार के मंत्री अशोक चौधरी के एक बयान से बिहार में नया राजनीतिक दंगल शुरू हो गया है। इस बयान पर एक तरफ़ उनकी पार्टी जेडीयू के नेता भी खुल कर उनके ख़िलाफ़ आ गए हैं तो दूसरी तरफ़ आरजेडी के सुप्रीमो तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधने का मौक़ा मिल गया है।
अशोक चौधरी ने जहानाबाद के एक कार्यक्रम में कहा कि भूमिहारों ने लोकसभा चुनाव में जेडीयू के उम्मीदवार चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को समर्थन नहीं दिया इसलिए वो हार गए। चन्द्रवंशी अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं। इस बयान के विरोध में आरजेडी के भूमिहार नेताओं ने मोर्चा खोल दिया। जहानाबाद आरजेडी के पूर्व जिला अध्यक्ष गोपाल शर्मा ने कहा कि भूमिहार कोई अशोक चौधरी के नौकर नहीं हैं। अशोक चौधरी पर कई पार्टियों से गुपचुप संबंध रखने का आरोप भी लगाया गया।
बिहार में जाति जनगणना और जातियों की संख्या के हिसाब से आरक्षण को संविधान की नवीं सूची में डालने की मांग पर हंगामा तो चल ही रहा है, अब भूमिहार नया मोर्चा खोलने की कोशिश में जुट गए हैं।
अशोक चौधरी का भूमिहार कनेक्शन
अशोक चौधरी पासी जाति से हैं जो अति दलित जाति में शामिल है। उनके पिता महावीर चौधरी कांग्रेस के नेता और सरकार में मंत्री थे। अशोक चौधरी ने गैर पासी जाति की महिला से विवाह किया है। उनकी बेटी सांभवी चौधरी ने बिहार के बहुचर्चित पूर्व आईएएस अधिकारी किशोर कुणाल के बेटे सायन कुणाल से शादी की है। कुणाल भूमिहार हैं। सांभवी 2024 में एलजेपी (रामबिलास) के टिकट पर चुन कर लोकसभा में पहुंची हैं।
आरोप है कि जगदीश शर्मा परिवार ने इससे नाराज़ होकर चंद्रवंशी का समर्थन नहीं किया। अशोक चौधरी ने बिना नाम लिए ये भी कह डाला कि भूमिहार अति पिछड़ों को समर्थन नहीं देते।
जाति जंग
नीतीश सरकार द्वारा कराए गए जाति जनगणना के मुताबिक़ बिहार में भूमिहारों की संख्या 3 फ़ीसदी से भी कम है, लेकिन समृद्ध जाति होने के कारण राजनीति पर इनका दबदबा आज़ादी के पहले से है। बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह भूमिहार थे। राजनीतिक दबदबा के कारण कोई भी पार्टी भूमिहारों को नाराज़ नहीं करना चाहती है।
केंद्रीय मंत्री और भूमिहार नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बहुत क़रीबी माने जाते हैं। बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी भूमिहार हैं। जहानाबाद सहित बिहार के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रणवीर सेना के नाम से नक्सलियों से हथियार उठाकर लड़ने वाले ज़्यादातर भूमिहार थे और नक्सलियों में दलित और पिछड़ी जातियों के लोग थे। आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव लंबे समय से भूमिहरों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। तेजस्वी ने चौधरी के बयान के बाद उनकी पार्टी को गुमराह संगठन कह दिया। चौधरी अब सफ़ाई दे रहे हैं कि वो भूमिहारों के ख़िलाफ़ नहीं है, लेकिन उनके बयान के बाद भी जाति दंगल थमने का नाम नहीं ले रहा है।
अपनी राय बतायें