राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमों के बीच सियासी लड़ाई इसी तरह चलती रही तो यह लगभग तय है कि कांग्रेस के लिए राजस्थान की सत्ता में वापसी करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में नजर कांग्रेस नेतृत्व पर टिक गई है कि वह इस मामले में कब फैसला लेगा।
पाकिस्तान में सबसे ताक़तवर मानी जाने वाली आर्मी के चीफ क़मर जावेद बाजवा के परिजनों के टैक्स रिकॉर्ड लीक होना बेहद गंभीर मसला है। पूर्व वज़ीर-ए-आज़म इमरान खान ने बाजवा के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। ऐसे में टैक्स रिकॉर्ड लीक होने से बहुत सारे सवाल खड़े होते हैं।
पंजाब में पिछले कुछ महीनों के अंदर कई ऐसे वाकये हुए हैं जो आतंकवाद का दंश झेल चुके इस सरहदी सूबे के लिए कतई ठीक नहीं हैं। क्या पंजाब फिर से अशांत हो रहा है।
यह माना जा रहा है कि 2023 के चुनावी राज्यों और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी बड़े पैमाने पर कांग्रेस की जनसभाओं और चुनावी रैलियों में दिखाई देंगी और निश्चित रूप से इससे राहुल गांधी के बाद कांग्रेस को एक और बड़ा चुनावी चेहरा प्रचार के लिए मिल सकेगा।
निश्चित रूप से गांधी परिवार चाहता है कि कांग्रेस के अध्यक्ष की कुर्सी पर उनका कोई भरोसेमंद नेता ही बैठे और ऐसे नेताओं में अशोक गहलोत ही उपयुक्त दिखाई देते हैं।
वाराणसी की सिविल कोर्ट में 5 हिंदू महिलाओं ने याचिका दायर कर मस्जिद के अंदर देवी-देवताओं की पूजा की इजाजत देने की मांग की थी। यह मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में ही स्थित है।
पंजाब में धर्मांतरण को लेकर सिख और ईसाई समुदाय के संगठन आमने-सामने आ गए हैं। ज्ञानी हरप्रीत सिंह का कहना है कि ईसाई धर्म के नकली पादरी पंजाब के लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
देखना होगा कि कांग्रेस क्या गांधी परिवार से बाहर के किसी शख्स को पार्टी का अध्यक्ष बनाती है या एक बार फिर इस पुराने राजनीतिक दल की कमान गांधी परिवार के ही किसी सदस्य के हाथ में जाएगी।
लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बाद बादलों के नेतृत्व को चुनौती मिलनी शुरू हुई है। ऐसे में क्या वास्तव में शिरोमणि अकाली दल के भीतर बादलों के अलावा किसी और को पार्टी का नेतृत्व दिया जा सकता है।
शिवसेना के बागी विधायकों और महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओं को जल्द से जल्द कैबिनेट विस्तार का इंतजार है लेकिन यह विस्तार कब होगा और इसमें उन्हें जगह मिलेगी या नहीं, इस सवाल का जवाब उन्हें नहीं मिला है।
उप राष्ट्रपति के चुनाव में क्या बीजेपी और विपक्ष के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी या फिर राष्ट्रपति के चुनाव की तरह ही इस चुनाव में भी एनडीए विपक्ष पर हावी नजर आएगा?
किसानों के आंदोलन ने मोदी सरकार को बैकफ़ुट पर धकेल दिया। सरकार को समझ आ गया था कि यह आंदोलन उसकी सियासी ज़मीन को खिसका सकता है, इसलिए उसने किसानों की मांगों को मान लिया।
हिमाचल प्रदेश में मिली हार से बीजेपी का राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व सकते में है। उसे ऐसे नतीजों की उम्मीद नहीं थी। क्या इसका असर विधानसभा चुनाव पर भी होगा?