पंजाब के मोहाली में स्थित खुफिया विभाग के दफ्तर में हुए धमाके ने फिर एक सवाल को जिंदा कर दिया है। सवाल यह है कि क्या यह घटना पंजाब में आतंकवाद के फिर से शुरू होने की आहट है।
राज्य की भगवंत मान सरकार को अभी सत्ता संभाले 2 महीने भी नहीं हुए हैं कि कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिन्होंने पंजाब पुलिस के साथ ही खुफिया महकमे और पंजाब को समझने वालों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
पंजाब बेहद संवेदनशील सूबा है और इसकी 550 किलोमीटर की लंबी सीमा पड़ोसी देश पाकिस्तान से लगती है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर यह आरोप लगता रहा है कि वह पंजाब का माहौल खराब करने में जुटी रहती है।
पंजाब में खालिस्तान के नाम पर नौजवानों को भड़काने वालों को पाकिस्तान के द्वारा संरक्षण मिलता है, ऐसी भी जानकारी खुफिया विभाग को मिलती रहती है।
हालिया घटनाएं
कुछ हालिया घटनाक्रमों पर नजर डालें तो पता चलता है कि कहीं ना कहीं एक बार फिर पंजाब के माहौल को खराब करने की नापाक कोशिश की जा रही है। बीते रविवार को ही तरनतारन जिले में डेढ़ किलो आरडीएक्स बरामद हुआ है। इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
हरियाणा के करनाल में आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़े चार आतंकवादियों को विस्फोटकों के साथ पकड़ा गया था। यह सभी आतंकी पंजाब के रहने वाले हैं।
पटियाला में सांप्रदायिक तनाव
इससे पहले पटियाला में हिंदू और सिख संगठनों के बीच सांप्रदायिक तनाव हुआ और इस दौरान सिख संगठनों की ओर से खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए। रविवार को ही हिमाचल प्रदेश की विधानसभा के बाहर खालिस्तानी झंडे मिले और दीवारों पर गुरुमुखी में खालिस्तान लिखा हुआ पाया गया।
इसके अलावा पाकिस्तान से पंजाब में ड्रोन के जरिए आने वाले हथियारों की तस्करी में भी इजाफा हुआ है।
इन सारी घटनाओं को जोड़कर देखें तो यह कहने में संकोच नहीं है कि पंजाब में खालिस्तान के नाम पर लोगों को भड़काने की कोशिश की जा रही है।
सिख आतंकवाद का शिकार पंजाब
पंजाब लगभग 2 दशकों तक सिख आतंकवाद का शिकार रहा है। इस वजह से हजारों सिखों और हिंदुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। लंबे वक्त तक चले खून खराबे के बाद पंजाब का माहौल शांत हो सका था लेकिन विदेशों में और सीमा पार यानी पाकिस्तान में बैठे खालिस्तानी आतंकवादी पंजाब को फिर से रक्त रंजित करने की साजिश रच रहे हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के पास कोई बड़ा प्रशासनिक अनुभव नहीं है और पंजाब जैसे बेहद संवेदनशील सूबे को चलाने के लिए जिस अनुभव की दरकार है उसे हासिल करने में अभी भगवंत मान को लंबा वक्त लगेगा।
इसलिए पंजाब सरकार को सारे विपक्षी नेताओं और आम जनता को साथ लेकर कट्टरपंथियों की नकेल कसनी होगी और केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी पाकिस्तान के बॉर्डर से लगे पंजाब के गांवों में सुरक्षा मजबूत करनी होगी जिससे पंजाब शांत रह सके।
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