राजस्थान में रविवार को हुए सियासी घटनाक्रम के बाद यह बात सामने आई कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की दौड़ से बाहर हो गए हैं। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत से कांग्रेस का अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए कहा है।
कांग्रेस के पर्यवेक्षकों अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे की रिपोर्ट के बाद जिस तरह कांग्रेस हाईकमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सीधा एक्शन लेने से बचता दिखाई दिया है उससे यह साफ है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अभी भी यह चाहता है कि अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनें।
मीडिया में आई तमाम खबरों में कहा जा चुका है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी चाहते हैं कि अशोक गहलोत ही कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभालें।
राजस्थान के ताजा सियासी घटनाक्रम के बाद अब जब अशोक गहलोत की दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात होनी है तो यह माना जा रहा है कि गहलोत अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उम्मीदवार हो सकते हैं।
3 दिन बाकी
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन भरने में अब सिर्फ 3 दिन का वक्त बचा है और माना जा रहा है कि आज या कल में इस बात को लेकर स्थिति साफ हो जाएगी कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे या नहीं।
अशोक गहलोत उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ काम किया है।
मुख्यमंत्री की कुर्सी का मसला
लेकिन यह भी तय है कि अगर अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा, यह सवाल फिर और मजबूती से खड़ा हो जाएगा। अगर गहलोत समर्थक विधायकों में से किसी एक को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो कांग्रेस किस तरह पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को मनाएगी, यह एक बड़ा सवाल कांग्रेस के सामने है।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा और अंबिका सोनी ने अशोक गहलोत से बात की है। अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि कांग्रेस नेतृत्व ने गहलोत से स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्हें हाईकमान के आदेश का पालन करना होगा।
लेकिन खबरों के मुताबिक, अशोक गहलोत यह भी चाहते हैं कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सचिन पायलट या उनके किसी समर्थक नेता को ना बैठाया जाए। ऐसे हालात में कांग्रेस नेतृत्व को इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाना होगा क्योंकि राजस्थान के इस घटनाक्रम की वजह से पार्टी की अच्छी खासी फजीहत हो चुकी है और इसके खिंचने का मतलब पायलट व गहलोत खेमों के बीच लड़ाई का बढ़ना होगा।
एक सवाल यह भी है कि गहलोत अगर दिल्ली आए तो उनके उनके समर्थक नेताओं शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर के खिलाफ क्या पार्टी कार्रवाई करेगी। क्योंकि तीनों ही नेताओं को राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
निश्चित रूप से गांधी परिवार चाहता है कि कांग्रेस के अध्यक्ष की कुर्सी पर उनका कोई भरोसेमंद नेता ही बैठे और ऐसे नेताओं में अशोक गहलोत ही उपयुक्त दिखाई देते हैं।
अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव ना लड़ने की सूरत में तमाम नेताओं के नाम सामने आए हैं। इनमें पंजाब से कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक भी चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। इसके अलावा हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी सैलजा और कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के बारे में कहा जा रहा है कि यह दोनों नेता भी चुनावी ताल ठोक सकते हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने भी कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का फॉर्म खरीदा है लेकिन उन्होंने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि उन्होंने यह फॉर्म किसी और के लिए खरीदा है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं लेकिन शशि थरूर कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 में शामिल हैं। इसलिए शायद उन्हें गांधी परिवार का समर्थन ना मिले।
इस पूरे मामले को लेकर दिल्ली से लेकर राजस्थान तक सियासी हलचल भी तेज है। सोनिया गांधी ने पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी को दिल्ली बुलाया है और उनसे बातचीत की है।
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