दिल्ली के बॉर्डर्स पर बीते साल जब किसान आंदोलन शुरू हुआ तो किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह अपने फ़ैसलों पर अडिग रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी झुका देगा।
किसान आंदोलन: चुनाव में हार के डर से सरकार ने किया सरेंडर!
- देश
- |
- |
- 9 Dec, 2021

किसानों के आंदोलन ने मोदी सरकार को बैकफ़ुट पर धकेल दिया। सरकार को समझ आ गया था कि यह आंदोलन उसकी सियासी ज़मीन को खिसका सकता है, इसलिए उसने किसानों की मांगों को मान लिया।
पंजाब से शुरू हुई किसान आंदोलन की चिंगारी तब शोला बनती दिखाई दी जब राज्य के हजारों लोग दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर आकर डट गए। उन्हें अपने साथी राज्य हरियाणा के किसानों का भी भरपूर साथ मिला और कुछ ही दिन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड और राजस्थान तक किसान आंदोलन खड़ा हो गया।
बीजेपी को राजनीतिक झटके
अब बारी बीजेपी को राजनीतिक झटके देने की थी। पहले पंजाब में शिरोमणि अकाली दल ने साथ छोड़ा तो उसके बाद राजस्थान में हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने। फिर भी सरकार अपने फ़ैसले पर अडिग रही और उसने ये दिखाने की कोशिश की कि वह कृषि क़ानूनों के मसले पर पीछे नहीं हटेगी।