विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति के चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने की तमाम अटकलों के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बड़ा बयान दिया है। पवार ने कहा है कि वह राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार की दौड़ में नहीं हैं। पवार ने यह बात सोमवार को एनसीपी के नेताओं की बैठक में कही। इस बैठक में एनसीपी के तमाम बड़े नेता शामिल रहे। बैठक में शरद पवार ने राज्यसभा चुनाव के बाद 20 जून को होने वाले विधान परिषद चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की।
इससे पहले खबर थी कि कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी, टीएमसी की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शरद पवार को राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनाने पर सहमत हैं।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शरद पवार को सोनिया गांधी की इस राय के बारे में बताया था। खड़गे को कांग्रेस की ओर से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष के उम्मीदवार के बारे में बातचीत की जिम्मेदारी दी गई है।
संजय सिंह ने की थी मुलाकात
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह रविवार को मुंबई में शरद पवार से मिले थे और पार्टी की ओर से राष्ट्रपति चुनाव में उनके नाम का समर्थन करने की बात कही थी। लेकिन शरद पवार ने खुद के इस रेस में न होने की बात कहकर साफ कर दिया है कि अब विपक्षी दलों को किसी और नेता को उम्मीदवार बनाने के बारे में सोचना होगा।
अनुभवी नेता हैं पवार
81 साल के शरद पवार केंद्र में तमाम मंत्रालयों को संभाल चुके हैं और उनके पास राजनीति का लंबा अनुभव है। विपक्षी दलों के पास उनके कद का कोई दूसरा नेता नहीं है। शरद पवार के विपक्ष के साथ ही बीजेपी और एनडीए में शामिल दलों के नेताओं से भी अच्छे संबंध हैं।
लेकिन अब सवाल यह है कि विपक्ष किसे अपना उम्मीदवार बनाएगा। इससे बड़ी बात यह है कि क्या विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार उतार पाएगा। अगर विपक्षी दलों के बीच संयुक्त उम्मीदवार उतारने को लेकर सहमति नहीं बनी तो बीजेपी और एनडीए के उम्मीदवार की राह इस चुनाव में आसान हो जाएगी।
हालांकि शरद पवार इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के बीच एक राय कायम करने में अपनी भूमिका निभाएंगे।
आज़ाद, सिब्बल के नाम की चर्चा
यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद को विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है। एक चर्चा राज्यसभा के सांसद और कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल को भी उम्मीदवार बनाए जाने की है। बता दें कि राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा जबकि नतीजे 21 जुलाई को आएंगे। नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून है।
टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के चयन के लिए 15 जून को दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। एनसीपी की ओर से शरद पवार और प्रफुल पटेल इसमें शामिल होंगे।
यूपीए में शामिल तमाम राजनीतिक दलों के साथ ही टीआरएस, टीएमसी, शिवसेना, आम आदमी पार्टी, वामदलों को भी संयुक्त उम्मीदवार पर एकराय होना होगा तभी वे एनडीए को चुनौती दे सकेंगे।
एनडीए को 13000 वोट की जरूरत
राष्ट्रपति के चुनाव में 776 सांसद और 4033 विधायक मतदान करेंगे। इस तरह इस चुनाव में कुल 4809 मतदाता हैं। सांसदों के वोट की कुल वैल्यू 5,43,200 है जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू 5,43,231 है और यह कुल मिलाकर 10,86,431 होती है। इसमें से जिस उम्मीदवार को 50 फ़ीसद से ज्यादा वोट मिलेंगे, उसे जीत हासिल होगी। बीजेपी और उसके सहयोगी दल 50 फीसद वोटों के आंकड़े से 13000 वोट पीछे हैं।
2017 के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर की टीआरएस के साथ ही वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी का भी समर्थन मिला था। लेकिन इस बार केसीआर विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में वे एनडीए का समर्थन नहीं करेंगे।
इस सूरत में वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी की भूमिका अहम होगी। बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर इन दोनों दलों के नेताओं के संपर्क में है और इनका समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है।
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