ऐसे दौर में जब गांधी जी के हत्यारे और आतंकवादी गोडसे को उनके समकक्ष खड़ा किया जा रहा हो, ऐसे में बीबीसी के पूर्व संपादक शिवकांत ने गांधी जी के बहुआयामी व्यक्तित्व का जिक्र किया है। शिवकांत के विचार इसलिए पढ़े जाने चाहिए, ताकि गांधी को गोडसे की संतानों के दौर में आसानी से समझा जा सके।
शी जिनपिंग का चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का अधिवेशन में फिर से सर्वोच्च नेता चुना जाना महज़ एक औपचारिकता है। तो क्या वह ज़्यादा ताक़तवर नेता बनकर उभरेंगे? इसका भारत के लिए क्या मायने है?
यूरोप में मौजूदा ऊर्जा संकट का क्या सबक है? परमाणु संपन्न होकर ही देश की पूरी तरह सुरक्षा की जा सकती है? क्या सीमाओं की सुरक्षा से कम ज़रूरी है ऊर्जा व अर्थव्यवस्था का दबावों से मुक्त होना?
नेशनल हेरल्ड मामले में ईडी की पूछताछ पर कांग्रेस और राहुल गांधी की प्रतिक्रिया क्या लोगों को आकर्षित करने वाली है? राहुल गांधी के सत्याग्रह का औचित्य क्या है?
दुनिया भर में महंगाई क्यों बढ़ रही है और क्या अब बड़ी आर्थिक मंदी सामने है? पूरी दुनिया के सामने आते दिख रहे इस संकट के बीच भारत खुद को कैसे बचा सकता है?
कश्मीरी पंडितों का पलायन दुखद है। लेकिन क्या भारत में यही एक पलायन है? क्या किसी को अंदाज़ा है कि विकास और रोज़गार के नाम पर कितने भारतीयों को विस्थापित होना पड़ा है?
मौजूदा यूक्रेन संकट दुनिया के सामने है। रूस का मीडिया यूक्रेन की छवि आक्रामक देश के तौर पर पेश कर रहा है। यूक्रेन में कुछ ऐसा ही संकट 1930 के दशक में आया था, लेकिन तब गैरेथ जोन्स ने वैसी रिपोर्ट थी जो इतिहास में दर्ज है।
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी मांग रहे हैं, लेकिन क्या कृषि की इतनी ही समस्या है? जानिए, किसानों के समग्र मुद्दों का आख़िर कैसे समाधान हो सकता है?