बीबीसी संकट के दौर से गुज़र रहा है। यह स्वेज़, फ़ॉकलैंड और इराक़ युद्धों के दौर वाला संकट नहीं है जो राष्ट्रीय निष्ठा और निष्पक्षता के बीच टकराव से पैदा हुआ था। यह सोशल मीडिया के युग में पैदा हुआ उस निष्पक्षता का संकट है जिसे बीबीसी के पहले महानिदेशक जॉन रीथ ने बीबीसी का पहला मूलमंत्र बताया था। जो बीबीसी और पत्रकारिता की आत्मा है।
बीबीसी के सामने क्या विश्वसनीयता का संकट है?
- विचार
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- 16 Mar, 2023

बीबीसी की निष्पक्षता को लेकर सवाल क्यों उठ रहे हैं? क्या इसकी विश्वसनीयता पर संकट आया है?
एक ओर तो बीबीसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सबसे बड़ा मंच माना जाता है। उसके स्टार पत्रकारों को भी अपनी निजी राय रखने का उतना ही अधिकार होना चाहिए जितना बीबीसी के श्रोताओं, पाठकों और दर्शकों को है। दूसरी ओर निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता के साथ बात कहने के सिद्धान्त हैं जो स्थापना के समय से ही उसके मूलमंत्र रहे हैं और उसकी विश्वसनीयता का आधार रहे हैं।