महात्मा गाँधी पर इतने लोगों द्वारा इतने दृष्टिकोणों से इतना लिखा जा चुका है कि कोई नई बात कह पाना असंभव सा है। उनकी बहुत सी बातें ऐसी हो सकती हैं जिनकी प्रासंगिकता न बची हो। लेकिन एक बात ऐसी है जिसकी प्रासंगिकता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। वह है पाखंड से दूर रहते हुए ईमानदारी से जीना।
पाखंड से परे - महात्मा गाँधी
- विचार
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- 29 Mar, 2025
ऐसे दौर में जब गांधी जी के हत्यारे और आतंकवादी गोडसे को उनके समकक्ष खड़ा किया जा रहा हो, ऐसे में बीबीसी के पूर्व संपादक शिवकांत ने गांधी जी के बहुआयामी व्यक्तित्व का जिक्र किया है। शिवकांत के विचार इसलिए पढ़े जाने चाहिए, ताकि गांधी को गोडसे की संतानों के दौर में आसानी से समझा जा सके।
