महात्मा गाँधी पर इतने लोगों द्वारा इतने दृष्टिकोणों से इतना लिखा जा चुका है कि कोई नई बात कह पाना असंभव सा है। उनकी बहुत सी बातें ऐसी हो सकती हैं जिनकी प्रासंगिकता न बची हो। लेकिन एक बात ऐसी है जिसकी प्रासंगिकता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। वह है पाखंड से दूर रहते हुए ईमानदारी से जीना।