उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अफ़सरों से क्यों कहा कि विदेशी मीडिया फ़र्ज़ी नरैटिव बना रहा है? क्या उन्होंने बीबीसी के ख़िलाफ़ की जा रही कार्रवाई को जायज़ बताने के लिए साज़िश का नरैटिव गढ़ रहे हैं? क्या प्रधानमंत्री और संघ परिवार के फ़र्ज़ी नरैटिव के लिए वे बहाने बना रहे हैं? उनका कथन और पांचजन्य के आरोपों की ध्वनि एक जैसी क्यों हैं? क्या उपराष्ट्रपति को सरकार के पक्ष में खड़ा किया जा रहा है?