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बीबीसी के दिल्ली दफ्तर में तलाशी का दूसरा दिन।

बीबीसी दफ्तरों में तलाशी का दूसरा दिन, घर से काम कर रहा स्टाफ

बीबीसी के दिल्ली और मुंबई दफ्तरों में आज बुधवार को भी सर्वे या तलाशी का काम जारी है। आयकर विभाग ने कल मंगलवार से दोनों दफ्तरों में तलाशी अभियान शुरू किया था। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीबीसी ने अपने सभी पत्रकारों और अन्य स्टाफ से कहा है कि वे अपने-अपने घरों से काम करें। वर्ल्ड मीडिया ने आरोप लगाया है कि गुजरात जनसंहार 2002 पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के बाद भारत सरकार ने यह कार्रवाई बीबीसी पर की है। बीबीसी ने अपनी डॉक्यूमेंट्री में पीएम मोदी की भूमिका को मुख्य मुद्दा बनाया है।
एनडीटीवी के मुताबिक बीबीसी ने अपने भारतीय कर्मचारियों को भेजे गए ईमेल में कहा है कि कर्मचारी व्यक्तिगत आय पर पूछे जाने वाले सवालों का जवाब देने से बच सकते हैं। उन्हें वेतन से संबंधित अन्य सवालों का जवाब देना चाहिए।
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भारत के तमाम विपक्षी दलों ने बीबीसी दफ्तरों की तलाशी का विरोध किया है। जबकि अमेरिका ने कहा कि वह सर्वे से वाकिफ है लेकिन वह "निर्णय देने की स्थिति में नहीं है।

एनडीटीवी के मुताबिक सूत्रों का कहना है कि टैक्स अधिकारी आज बुधवार को एकाउंट्स विभाग पर ध्यान केंद्रित करेंगे और बीबीसी के सीनियर मैनेजमेंट से सवाल करेंगे। सूत्र ने कहा कि आयकर अधिकारी अवैध टैक्स लाभ, टैक्स चोरी, डायवर्जन और बीबीसी द्वारा नियम तोड़ने के आरोपों की जांच कर रहे हैं।
सूत्रों ने दावा किया कि बीबीसी को पहले नोटिस दिया गया था, लेकिन उन्होंने उसका पालन नहीं किया। आयकर अधिकारी 2012 से खाते के विवरण की जांच कर रहे हैं।

मंगलवार को तलाशी शुरू होने के छह घंटे बाद कर्मचारियों को उनके लैपटॉप स्कैन करने के बाद ही जाने दिया गया। विजुअल्स में कुछ कर्मचारियों को अधिकारियों के साथ बहस करते हुए दिखाया गया है, उन पर बिना वारंट के जबरन घुसने का आरोप लगाया गया है।

बीबीसी के एक पत्रकार ने NDTV को बताया कि कर्मचारियों को लॉग इन करने के लिए कहने के बाद अधिकारियों ने डेस्कटॉप पर जानकारी खोजने के लिए कीवर्ड "टैक्स" का इस्तेमाल किया।
इस बीच विपक्ष ने सरकार पर 2002 में गुजरात में हुए दंगों पर प्रधानमंत्री मोदी पर आलोचनात्मक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित करने के लिए बीबीसी को टारगेट करने का आरोप लगाया। मोदी गुजरात के उस समय मुख्यमंत्री थे। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि छापे सरकारी नीतियों की आलोचना करने वाले प्रेस संगठनों को डराने या परेशान करने के लिए सरकारी एजेंसियों का उपयोग करने की एक व्यापक प्रवृत्ति का हिस्सा हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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