बीबीसी के दिल्ली
और मुंबई के में दफ्तरों में 59 घंटे तक चला सर्वे खत्म होने के एक दिन बाद शुक्रवार
की शाम आयकर विभाग ने एक बयान जारी किया है। जारी किए बयान में विभाग ने कहा कि करीब तीन दिन के सर्वे के बाद बीबीसी के
दफ्तरों में इंटरनेशनल टैक्स को लेकर कुछ गड़बड़ियों का पता चला है। विभाग ने बीबीसी के
दिल्ली और मुंबई
दफ्तर में इनकम टैक्स एक्ट की धारा 133A के तहत सर्वे किया था।
सर्वे में मालूम चला है कि बीबीसी समूह द्वारा आय कम दिखाकर टैक्स बचाने की कोशिश की गई
है। सर्वे के दौरान विभाग ने संगठन के संचालन से जुड़े जो सबूत इकट्ठा किए, उन्हें
देखने से पता चलता है कि बीबीसी की विदेशी शाखाओं
के जरिये हुए लाभ के कई सोर्स ऐसे थे, जिनपर भारत में देय टैक्स नहीं चुकाया गया।
बीबीसी के दफ्तरों में हुए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सर्वे
को सरकार की बदले की कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है। यह सर्वे बीबीसी द्वारा गुजरात
दंगों के मामले में मोदी को कटघरे में खड़ा करती हुई एक डॉक्यूमेंट्री के रिलीज
होने के कुछ हफ्तों बाद ही हुआ है।
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विभाग द्वारा यह भी कहा गया कि बीबीसी के विदेशों सहित देश
में कई ऐसे कर्मचारी हैं, जिनका भुगतान भारतीय
यूनिट द्वारा किया गया, लेकिन टैक्स
नहीं चुकाया गया। बीबीसी कर्मचारियों के बयान, डिजिटल एविडेन्स और कागजातों के आधार इन तमाम वित्तीय
अनियमितताओं की जानकारी हुई है। ये बयान टॉप लेवल कर्मचारियों, फाइनेंस, कंटेंट डेवलपमेंट और प्रोडक्शन से जुड़े अधिकारियों और
कर्मचारियों द्वारा दर्ज कराए गये हैं।
सरकारी विभाग द्वारा
किये गये सर्वे पर भाजपा ने प्रतिक्रिया देते हुए बीबीसी कार्यनीति पर सवाल उठाते
हुए उसे भ्रष्ट और बकवास कॉर्पोरेशन कहा था। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने इसे प्रेस की आजादी पर हमला कहा था। ममता बनर्जी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि देश में एक दिन ऐसा आएगा की कोई प्रेस नहीं होगा।
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बीबीसी पर इनकम
टैक्स के सर्वे पर तमाम देशी विदेशी मीडिया संस्थानों और संगठनों ने सवाल उठाए थे।
इसे स्वतंत्र प्रेस का गला घोंटने वाली कार्रवाई कहा था। भारत में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी इस सर्वे की आलोचना की थी।
बीबीसी के दिल्ली
और मुंबई के दफ्तरों में मंगलवार की सुबह दस बजे एक साथ सर्वे शुरु हुआ था जो गुरुवार
की रात ग्यारह बजे तक चला। इस दौरान बीबीसी के कर्मचारियों को घर से काम करने के
लिए कह दिया गया था। सर्वे शुरु होने के पहले जो कर्मचारी दफ्तर में थे उन्हें
वहीं पर रोक लिया गया था।
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