सन 1989 को याद करें! चीन को माओ की बर्बाद कर देने वाली आर्थिक नीतियों की भूल स्वीकर किए और पश्चिम की बाज़ारवादी आर्थिक नीतियों को पूरे मनोयोग से लागू किए दस साल हो रहे थे।
समाजवादी मानसिकता भारत, रूस को ले डूबेगी?
- विचार
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- 22 Mar, 2022

आर्थिक सुधारों की राह पर एक क़दम आगे बढ़ाते ही कुछ पूर्वज याद आते हैं और दो क़दम पीछे हटने को मजबूर कर देते हैं। दोनों का हाल यही रहा तो भारत और रूस की हैसियत चीन के बड़े प्रांतों जितनी भी नहीं रह सकेगी।
चीन की अर्थव्यवस्था आर्थिक सुधारों की बदौलत भारत से आगे निकल कर 34,800 करोड़ डॉलर की हो चुकी थी। चालीस बरस लंबे समाजवादी लाइसेंस राज ने भारत को दिवालिएपन के कगार पर पहुँचा दिया था। उसकी अर्थव्यवस्था 29,600 करोड़ डॉलर रह गई थी! सोवियत संघ के दिवालिया होकर बिखर जाने के बावजूद सोवियत रूस की अर्थव्यवस्था 50,659 करोड़ डॉलर थी और उसके पास चीन और भारत से अधिक समुन्नत औद्योगिक आधार के साथ-साथ अपार प्राकृतिक संपदा भी थी।