भारत का प्रवर्तन निदेशालय कांग्रेस नेता राहुल गाँधी से पूछताछ कर रहा है। मामला नेशनल हेरल्ड की संपत्ति के शेयर ख़रीदने के लिए कोलकाता की एक हवाला कंपनी से कर्ज़ लेने का बताया जा रहा है। राहुल गाँधी ने प्रवर्तन निदेशालय की जाँच को राजनीतिक दुश्मनी निकालने का हथकंडा बता कर इसके विरुद्ध सत्याग्रह छेड़ने का ऐलान किया है। कांग्रेस पार्टी की राज्य सरकारों के मुख्यमंत्रियों समेत सभी शीर्ष नेता इस सत्याग्रह में शामिल होने के लिए दिल्ली में जमा हैं और प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष प्रदर्शन करने और धरना देने की कोशिशें कर रहे हैं। पुलिस वालों के साथ हो रही हाथापाई में कई नेताओं को चोटें भी आई हैं।
राहुल गाँधी का सत्याग्रह कहीं मिथ्याग्रह तो नहीं?
- विचार
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- 14 Jun, 2022

नेशनल हेरल्ड मामले में ईडी की पूछताछ पर कांग्रेस और राहुल गांधी की प्रतिक्रिया क्या लोगों को आकर्षित करने वाली है? राहुल गांधी के सत्याग्रह का औचित्य क्या है?
भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोपों को राजनीतिक दुश्मनी निकालने का हथकंडा बता कर कार्रवाई के ख़िलाफ़ अपने समर्थकों से धरने-प्रदर्शन कराना भारत की राजनीति में आम बात रही है। इंदिरा गाँधी ने जनता पार्टी सरकार के शासन में अपने बचाव के लिए यही रणनीति अपनाई थी। जनता सरकार ने उन्हें भ्रष्टाचार और आपात स्थिति के दौरान विपक्षी नेताओं को मारने की साज़िश रचने के आरोपों में गिरफ़्तार किया था। वे केवल एक-एक दिन के लिए ही हिरासत में रहीं लेकिन उनके समर्थकों ने गिरफ़्तारी के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन किए थे। विरोध प्रदर्शनों से उनकी लोकप्रियता पुनर्जीवित हुई और वे भारी बहुमत के साथ सत्ता में लौटीं। चारा घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद लालू यादव ने और दिसंबर 2019 में आईएनएक्स हवाला कांड में गिरफ़्तारी के बाद पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भी अपने बचाव में यही कहा था कि उनसे राजनीतिक दुश्मनी निकाली जा रही है।