यूक्रेन और रूस की लड़ाई को शुरू हुए सात महीने होने जा रहे हैं। लड़ाई के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से रूस की निंदा हो रही है। पर राष्ट्रपति पुतिन ने देशवासियों को संबोधित करते हुए आंशिक रूप से सेना जुटाने और यूक्रेन के उन पूर्वी प्रांतों में क्रीमिया जैसा जनमत संग्रह कराने का ऐलान किया है जो रूस के क़ब्ज़े में हैं। लड़ाई चार मोर्चों पर चल रही है। जंग के मैदान में, आर्थिक मोर्चे पर, कूटनीति के मोर्चे पर और जनसमर्थन और प्रचार के मोर्चे पर। आरंभ के सप्ताहों में लगभग हर मोर्चे पर मुँह की खाने के बाद ऐसा लगने लगा था मानो राष्ट्रपति पुतिन की रणनीति काम कर रही है। यूक्रेन की राजधानी कीव के घेराव की कोशिश में नाकाम होने के बाद रूसी सेना ने पूर्व में डोनबास और दक्षिण में मारियूपूल, मेलितोपोल और खरसोन प्रान्तों में प्रवेश करते हुए यूक्रेन के लगभग पाँचवें हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया।