रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला बोलते हुए युक्रेनी सैनिकों को हथियार डाल कर घर लौट जाने को कहा। उन्होंने कहा “वे यूक्रेन का विसैन्यीकरण और विनात्सीकरण करने जा रहे हैं और जो इस काम में आड़े आएगा, और हमारे देश के लिए ख़तरा बनने की कोशिश भी करेगा, उसका तत्काल जवाब दिया जाएगा और ऐसा हश्र किया जाएगा जैसा इतिहास में कभी नहीं हुआ।”
व्लादीमिर पुतिन को ग़ुस्सा क्यों आता है?
- दुनिया
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- 26 Feb, 2022

आज के लोकतांत्रिक युग में बड़ी ताकतों के प्रभाव क्षेत्र धौंस के बल पर नहीं, आर्थिक हितों और मीठे रिश्तों के सहारे पनपते हैं। इसीलिए किसी देश को नाटो की सदस्यता उसका आकार या शक्ति देखकर नहीं, बल्कि स्वच्छ प्रशासन, लोकतंत्र और पारदर्शिता देख कर दी जाती है। इसलिए यदि सुरक्षित महसूस करना है तो पुतिन साहब को शी जिनपिंग जैसों की जगह कार्ल बिल्ट जैसों की सोहबत में जाना चाहिए।
रूस की सेनाएँ पूर्व में डॉनबास, उत्तर में बेलारूस, और दक्षिण में क्राइमिया से एक साथ यूक्रेन में दाख़िल हुई हैं। यूक्रेन की राजधानी कीव, ख़ारकीव, ओडेसा और मारियूपोल जैसे बड़े शहरों के सैनिक ठिकानों पर मिसाइलों से हमले चल रहे हैं और देश के बड़े नागरिक और सैनिक हवाई अड्डों और हथियारों को निशाना बनाया गया है। रूस ने यूक्रेन के 80 से अधिक सैनिक ठिकानों को नष्ट करने और दोनों पक्षों ने बड़ी संख्या में सैनिकों और नागरिकों के मारे जाने के दावे किए हैं।
हमले के बाद देश और दुनिया के नाम अपने संबोधन में तमतमाए और दाँत पीसते राष्ट्रपति पुतिन ने अमेरिका और नाटो को ख़ूब लताड़ा। अपने पिछले साल के लंबे लेख में उन्होंने सोवियत रूस के बिखराव पर रोष प्रकट करते हुए उसे ‘ऐतिहासिक रूस की मौत’ बताया था।