मोदी सरकार का बजट 2025 सामने आ चुका है। इस बजट में 12 लाख आयकर छूट का झुनझुना थमाकर सरकार ने मध्यम वर्ग का मुंह तो बंद करने की कोशिश की है लेकिन सुरसा की तरह बढ़ रही महंगाई से जब राहत मिलेगी तभी इस छूट का फायदा होगा। हां, कॉरपोरेट की फिर चांदी हुई है। उसके लिए सरकार का खजाना खुला हुआ है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार 1 फरवरी को आम बजट पेश करने वाली हैं। देश में बेरोजगारी के जो हालात हैं, उससे निपटने के तरीके पर मोदी सरकार इस बजट में कितना कर पाती है, यह देखा जाना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार और आर्थिक जानकार अनन्त मित्तल की टिप्पणीः
ख़पत काफ़ी ज़़्यादा कम हो गई है। मध्यवर्ग की आय कम हुई है। बेरोजगारी बढ़ी है। महंगाई बढ़ी है। तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में किस-किस से निपटेंगी?
प्रधानमंत्री मोदी ने 2024 के आम चुनाव में राजस्थान के बांसवाड़ा में चुनावी भाषण में महिलाओं को विपक्ष द्वारा उनका मंगलसूत्र और उनके सोने के जेवर छीन लेने का आरोप लगाकर डराया था।
अगले कुछ महीने में तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले क्या बजट में बेरोजगारी के आँकड़ों पर ध्यान रखा जाएगा? जानिए, बजट के लिए क्या-क्या चुनौतियाँ हैं।
क्या इस देश में महात्मा गांधी की बताई राह का 'टूलकिट' यानी योजना तैयार करके संगठित अहिंसक आंदोलन करना गुनाह है? यदि ऐसा है तो फिर बापू के नेतृत्व में चला हमारी आज़ादी का समूचा नागरिक अवज्ञा आंदोलन राजद्रोह ही था?
सनातन संस्कृति के सबसे पावन एवं पुण्यार्जक महापर्व पूर्ण कुंभ का मकर संक्रांति-14 जनवरी से शुरू होने वाला मेला उत्तराखंड की बीजेपी सरकार की कोताही से इस वर्ष आयोजित ही नहीं हो पाया!
किसानों से बातचीत में पराली जलाने वालों पर जुर्माने का प्रावधान रद्द करने पर केंद्र सरकार की रजामंदी से उसके द्वारा आनन-फानन में एनसीआर प्रदूषण नियंत्रण आयोग के गठन के पीछे उसकी नीयत पर सवालिया निशान लग रहा है।
एनडीए की चौथी पारी में करोड़ों युवाओं की नौकरी और आर्थिक तरक्की की आकांक्षाओं का क्या होगा? क्या नीतीश कुमार बीजेपी के 19 लाख नौकरियों के वादे को पूरा करेंगे?
सचिन पायलट की बग़ावत ठंडी करने में कामयाबी क्या कांग्रेस में युवा खेमे की रणनीतिक जीत है? कम से कम पायलट प्रकरण को निपटाने संबंधी विवरण जो मीडिया में छनकर आ रहा है उसके पीछे तो यही संदेश देने की कोशिश दिख रही है।
आकाशीय बिजली गिरने से सबसे अधिक मौत जहां महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल में दर्ज हैं, वहीं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड के किसान और आदिवासी भी बड़ी संख्या में इसके शिकार होते हैं।
लगता है कि मोदी सरकार की कोरोना पर कोई साफ़ योजना नहीं है और वह सिर्फ़ भाषणों से ही काम चलाना चाहते हैं। क्योंकि महामारी बेलगाम है और निपटने की सरकारी तैयारी लापता है।