कोविड-19 महामारी की छूत भारत में फैलने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 30 जून को छठा भाषण अहंकार को छूते उनके अति आत्मविश्वास का प्रतीक है अथवा विकल्पों के चुक जाने का? हालात तो विकल्पों के चुक जाने के ही लग रहे हैं। क्योंकि महामारी बेलगाम है और उसकी विकरालता से निपटने की मुनासिब सरकारी तैयारी लापता है। मार्च—अप्रैल में किए गए मोदी और उनकी अध्यक्षता वाले नीति आयोग के दावों के विपरीत महामारी ग्रस्त लोगों की संख्या छह लाख पार कर गयी है और उसकी विकरालता ने पूरे देश को सांसत में डाल रखा है। ताज्जुब ये कि भोजन के संवैधानिक अधिकार के तहत महामारी काल में सरकार द्वारा मुफ्त राशन देने के दायित्व के निर्वहन को भी प्रधानमंत्री दुनिया के लिए आश्चर्यजनक बताकर बिहार और यूपी में वाहवाही लूटने का राजनीतिक दाँव खेल गये।