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दिल्ली की महिलाओं को मासिक 2500 रुपये मिलेंगे या नहीं?

दिल्ली में सरकारी कामकाज संभालने के 48 घंटे में ही दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पूर्ववर्ती आप यानी आम आदमी पार्टी सरकार पर दिल्ली का सरकारी खजाना खाली कर देने का आरोप लगाकर महिलाओं, बुजुर्गों, युवाओं सहित गर्भवती माताओं की उम्मीदों को करारा झटका दिया है। इसी तरह एलजी यानी उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना का पिछला कार्यकाल भी दिल्ली विधानसभा में उनके अभिभाषण की घोषणाओं पर ठोस अमल की कोई उम्मीद नहीं जगाता। उन्होंने बीजेपी के 10 चुनावी संकल्प पूरे करने पर जोर दिया है लेकिन दिल्ली में सब्सिडी की रक़म 2024-25 में ही 10,995 करोड़ रुपए पार कर चुकी है। 

केंद्रशासित प्रदेश होने के कारण दिल्ली सरकार सीधे बाजार से कर्ज नहीं उठा सकती और राजस्व घाटा बढ़ते ही प्रशासक के वित्तीय अधिकार छिन जाने की तलवार भी लटकी हुई है। पिछली सरकार द्वारा साल 2025-26 के बजट अनुमानों में 8159 करोड़ रुपए का घाटा आंका गया था जो ‘मोदी की गारंटी’ से पहले की बात थी। अब नई वित्तीय सहायता योजनाएँ लागू होने पर दिल्ली सरकार का घाटा सालाना 25,000 करोड़ रुपए तक बढ़ जाने की आशंका है जिसकी भरपाई मुख्यमंत्री के लिए बिना कर बढ़ाए कर पाना असंभव होगी।

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उपराज्यपाल ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार एवं आयुष्मान योजना के तहत 10 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज की सुविधा देने का वायदा भी अभिभाषण में किया। जबकि लाट साहब के राज में दिल्ली का स्वास्थ्य सेवा ढांचा चरमरा चुका है।

दिल्ली के प्रति 1000 नागरिकों के लिए अस्पतालों में औसतन तीन बिस्तर ही उपलब्ध हैं। राजधानी के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में निहायत तकलीफदेह जले हुए घावों वाले मरीजों को भी उनके ऑपरेशन के लिए औसतन आठ महीने इंतजार करना पड़ रहा है। दिल्ली में सफाई व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार दिल्ली नगर निगम लगातार 15 साल बीजेपी के कब्जे में रहने के बावजूद लाटसाहब ने दिल्ली को देश का सबसे स्वच्छ मेट्रो शहर बनाने का दावा किया है! सारे कार्यकारी अधिकारों से लैस एवं प्रधानमंत्री मोदी के विश्वस्त लाट साहब और बीजेपी राजधानी को गंदगी एवं अपराध मुक्त क्यों नहीं कर पाए? केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अब दिल्ली पुलिस को राजधानी में आपराधिक गिरोहों की मुश्कें कसने का निर्देश दे रहे हैं मगर उनकी और लाट साहब की नाक के नीचे ये गैंग पनपे कैसे? आख़िरकार दिल्ली पुलिस तो पिछले 11 साल से मोदी सरकार की मुट्ठी में ही रही है! दिल्ली को स्वच्छत्तम राजधानी बनाने के लिए उपराज्यपाल अब गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में कचरे के पहाड़ हटाने को ठोस कचरा उपचार क्षमता बढ़ाने का एलान कर रहे हैं जबकि कचरे के ये चट्टे तो उनकी निगरानी में ही चढ़े हैं।

दिल्ली में आतिशी सरकार द्वारा साल 2025-26 में 8,000 करोड़ रुपए के बजट घाटे के अनुमान के बावजूद एलजी ने हरेक गर्भवती महिला को 21,000 रुपए नकद और छह पोषण किट देने, गरीब महिलाओं को 500 रुपये में नियमित रसोई गैस सिलेंडर देने और होली-दीवाली पर एक-एक सिलेंडर मुफ्त देने को कहा।
उन्होंने केजरीवाल की कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखने और प्रधानमंत्री के 'जहां झुग्गी वहीं मकान', पीएम-उदय, आयुष्मान भारत तथा पीएम-सूर्य घर योजनाओं को लागू करने का वायदा किया।

उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों की पेंशन 2,000 रुपए से बढ़ाकर 2,500 रुपए मासिक करने और 70 वर्ष पार वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं, बेसहारा एवं परित्यक्त महिलाओं की पेंशन 2,500 रुपए से बढ़ाकर 3,000 रुपए मासिक करने को भी कहा।

लाट साहब ने वरिष्ठ नागरिकों से निशुल्क ओपीडी तथा डायग्नोस्टिक सेवा और 10 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज कराने का वायदा किया जबकि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों से लेकर पैरा मेडिकल स्टाफ़ तक 21 फीसद पद बरसों से खाली हैं। यह भेद सीएजी यानी नियंत्रक महालेखा परीक्षक की 2024 की ताजा रिपोर्ट से उजागर हुआ है। यह साल 2016 से 2022 तक दिल्ली में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के ऑडिट पर आधारित है। इसमें से ज़्यादातर अवधि में वर्तमान एलजी विनय कुमार सक्सेना ही दिल्ली के प्रशासक पद पर काबिज रहे हैं। कर्मचारियों की नियुक्ति का अधिकार भी उन्हीं के हाथ में है।

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राजधानी में 109 सरकारी एवं 67 निजी अस्पताल हैं। इनमें कुल मिलाकर 49,455 बेड हैं। एलजी की नाक के नीचे ही दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लोगों को सामान्य सर्जरी यानी ऑपरेशन के लिए भी दो से तीन महीने बाद की तारीख़ मिलती है। जबकि जले हुए घावों के ऑपरेशन तथा प्लास्टिक सर्जरी के लिए औसतन आठ महीने लंबे इंतज़ार के कारण मरीजों की हालत ख़राब है। क्योंकि जले हुए घावों में त्वचा की ग्राफ्टिंग यदि तत्काल नहीं हो तो घाव सड़ने से मरीज की मृत्यु की आशंका प्रबल हो जाती है। ऑपरेशन के लिए लंबे इंतजार का बड़ा कारण अस्पतालों में ऑपरेशन थियेटर ही ठप होना है। राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के कुल 12 माड्यूलर ऑपरेशन थियेटरों में से आधे सीएजी द्वारा ठप ही पाए गए। इतना ही नहीं, जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में तो सभी सात ऑपरेशन थियेटर ठप पाए गए हैं।

साल 2016-17 के बजट में एलजी साहब की निगरानी में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में और 10,000 बिस्तरों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव रखा मगर अगले छह साल में मात्र 1357 अतिरिक्त बिस्तर ही जोड़ पाई। सरकारी अस्पतालों में सामान्य दवाओं ही नहीं, जीवनरक्षक दवाओं की किल्लत भी आम रही। साथ ही दवाओं की गुणवत्ता भी घटिया पाई गई। निजी अस्पतालों ने ग़रीब मरीजों का निर्धारित संख्या में इलाज नहीं किया क्योंकि उनकी निगरानी तंत्र ठप पड़ा रहा।

दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवंटित 511 करोड़ रुपए स्वास्थ्य विभाग ने ख़र्च न करके बैंकों में ही जमा रहने दिए मगर केजरीवाल सरकार और लाट साहब सक्सेना हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।
बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली के अनुसार उपराज्यपाल ने भी 100 दिन की कार्य योजना बनवाने की घोषणा की। ये दीगर है कि साल 2024 के आम चुनाव के मौक़े पर मोदी सरकार द्वारा नई सरकार के लिए अग्रिम रूप में तैयार 100 दिन की कार्ययोजना का एनडीए सरकार बनने के नौ महीने बीतने के बाद भी कोई अता-पता नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के दावों पर भरोसा कैसे किया जाए? यूं भी मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में सिर्फ आयुष्मान भारत योजना लागू करने की मंजूरी दी है। जबकि ‘मोदी की गारंटी’ महिलाओं एवं बुजुर्गों को 2500 रुपए मासिक राशि देने की मंजूरी भी नए मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही दे देने की थी। फिर रेखा गुप्ता ने महिलाओं एवं बुजुर्गों से ‘मोदी की गारंटी’ की वादाफरोशी क्यों की?
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वैसे, दिल्ली सरकार के वित्तीय आंकड़े केजरीवाल सरकार की मुफ्त सुविधाओं से ही लड़खड़ाए हुए हैं। अब ‘मोदी की गारंटी’ के तहत गरीब महिलाओं, बुजुर्गों, गर्भवती माताओं को मासिक वित्तीय सहायता, रसोई गैस सिलेंडर पर 500 रुपए सब्सिडी आदि देने पर दिल्ली सरकार का बजट डांवाडोल होना तय है।

दिल्ली में साल 2024-25 में सब्सिडी की सालाना राशि 10,995 करोड़ रुपए हो चुकी है, जबकि साल 2014-15 में इस मद में महज 1555 करोड़ रुपए ख़र्च हो रहे थे। अब महिलाओं को डीटीसी बसों में मुफ्त यात्रा, निश्चित मात्रा में मुफ्त बिजली-पानी, मुफ्त शिक्षा के साथ-साथ महिलाओं को मासिक 2500 रुपए देने तथा अन्य गारंटियाँ लागू करते ही दिल्ली सरकार पूरी तरह केंद्र सरकार की कृपा पर निर्भर हो जाएगी। राजकोषीय घाटे की भरपाई के लिए यदि करों की दरें बढ़ाईं अथवा नए कर मुख्यमंत्री ने दिल्ली में लागू किए तो केजरीवाल और आप द्वारा पूरी दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी पर महंगाई की तोहमत जड़े जाना तय है। दिल्ली का वित्त मंत्रालय भी रेखा गुप्ता के ही पास है और चुनावी संकल्पों पर अमल के बाद भी यदि वे लाभ का बजट पेश करेंगी तो दिल्लीवासियों पर नए करों का बोझ बढ़ना तय है। अन्यथा बीजेपी को अपने चुनावी वायदों से मुंह चुराना पड़ेगा। अमूमन ध्रुवीकरण के जरिए बटोरे वोटों से सरकार बनाने के बाद मतदाताओं पर नए कर थोपना बीजेपी और मोदी सरकार की फितरत ही है। पैकबंद दूध-दही तक पर जीएसटी थोपना इस प्रवृत्ति का सबसे बड़ा सबूत है।

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अनन्त मित्तल
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