केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का छठा बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूंजीपति प्रेम के बावजूद हालिया आम चुनाव में बीजेपी की करारी हार से उनकी आंखें खुलने और युवाओं को रोजगार देने के गंभीर उपाय करने की मजबूरी से डांवाडोल स्थिति में है। बजट में अगले पांच साल में एक करोड़ युवाओं को 5,000 रुपए मासिक वजीफे पर इंटर्नशिप कराने जैसी घोणणाओं से साफ़ है कि प्रधानमंत्री मोदी पिछले दिनों आठ करोड़ नौकरी देने वाले अपने बयान के प्रति शायद खुद ही आश्वस्त नहीं हैं। ताज्जुब ये कि चुनावी हार ने उन्हें कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र को ही लागू करने पर मजबूर कर दिया।
चुनावी झटके से डावाँडोल बजट!
- अर्थतंत्र
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- 24 Jul, 2024

मोदी सरकार के बजट की आख़िर किन वजहों से आलोचना की जा रही है? बजट में जो प्रावधान किए गए हैं उसकी वजह क्या चुनावी झटके हैं?
याद रहे कि कांग्रेस ने ग्रेजुएट युवाओं को 8,500 रुपए मासिक वजीफे पर साल भर की अप्रेंटिसशिप कराने की गारंटी चुनाव के दौरान दी थी। बजट में युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए बिना गारंटी 7.5 लाख रुपए लोन देने, एंजल टैक्स खत्म करके पूंजी निवेश बढ़ाने और मनरेगा की राशि में कोई कटौती नहीं करने जैसे उपाय भी गांवों में और युवाओं में फैली बेरोजगारी के प्रति मौजूदा सरकार की घबराहट के प्रतीक हैं। इनके बूते प्रधानमंत्री मोदी ने कम से कम महाराष्ट्र, हरियाणा एवं झारखंड के सिर पर खड़े विधानसभा चुनावों में युवाओं को लाॅलीपाॅप देने का बहाना तो ढूंढ ही लिया। इनसे मिलते-जुलते वायदे कांग्रेस ने ही अपने घोषणा पत्र में युवाओं से किए थे। इसी तरह बजट में आज घोषित रोजगार से जुड़े इंसेंटिव वाली योजना भी कांग्रेस के घोषणा पत्र में उल्लिखित है। इससे पहले बीजेपी की भागीदारी वाली महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने भी इसी तरह लाड़ला भाउ और लाड़ली बहना कार्यक्रमों की घोषणा की है जिनमें महिलाओं एवं युवाओं को निश्चित राशि हरेक महीने देने का प्रावधान है। यह दोनों स्कीम कांग्रेस द्वारा हिमाचल प्रदेश एवं राजस्थान में लागू की जा चुकी हैं।