अस्सी के दशक में जब पहली बार हमारी पीढ़ी क्रांति के स्वप्न या रोमांस के बीच अपने क्रांतिकारी लेखकों-कवियों को पहचानने का जतन कर रही थी तो तेलुगू के दो कवि और गायक हमें नायकों की तरह मिले थे- वरवर राव और गद्दर। गद्दर को हम उन दिनों गदर कहा करते थे- हमें लगता था कि वे बगावत के मूर्तिमान रूप हैं। आज बरसों बाद गूगल पर हिंदी में गद्दर पर कुछ खोजने की कोशिश की तो लगभग सारे विकल्प ‘गद्दार’ के आए- फूहड़ हिंदी फिल्मों और गीतों का एक सिलसिला परोसते हुए।
गद्दर का जाना, प्रतिरोध की आवाज़ का कमजोर होना है!
- श्रद्धांजलि
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- 6 Aug, 2023

तेलंगाना के कवि और गायक गद्दर का रविवार को निधन हो गया। वह बीमार थे। वह गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थे और 20 जुलाई को भर्ती हुए थे। जानिए गद्दर को कैसे याद किया जाएगा।
तो गदर के स्वप्न और गद्दार के बाज़ारवादी विस्तार के बीच कहीं छुपे रहे गद्दर- बीमार, परेशान, अस्पताल में भर्ती। कभी लोगों में जोश और जज़्बा भर देने वाली उनकी आवाज़ थक चुकी थी। उनकी मौत की ख़बर आते ही इतिहास के कुछ मुर्दा पत्थर हिले होंगे- तेलंगाना और दूसरे जनांदोलनों से जुड़ी स्मृतियाँ किन्हीं दूर-दराज़ के अंधेरे कोनों में कौंधी होंगी। दलितों और वंचितों के पक्ष में उनकी गूंजती आवाज़ किन्हीं सन्नाटों में प्रतिध्वनित हुई होगी।