मशहूर फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल का सोमवार को निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। वह लंबे समय से बीमार थे। बेनेगल किडनी संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे और उनका इलाज चल रहा था। मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में शाम 6:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार में उनकी पत्नी नीरा बेनेगल और बेटी पिया बेनेगल हैं।
1970 और 1980 के दशक में भारतीय समानांतर सिनेमा आंदोलन की शुरुआत करने वाले श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा के महानतम दूरदर्शी फिल्म निर्माता माने जाते हैं। उन्होंने मुख्यधारा के भारतीय सिनेमा की परंपराओं से अलग हटकर यथार्थवाद और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में बनाईं।
बेनेगल ने 14 दिसंबर को अपने दोस्तों और परिवार के साथ अपना 90वां जन्मदिन मनाया था। अभिनेता कुलभूषण खरबंदा, नसीरुद्दीन शाह, दिव्या दत्ता, शबाना आज़मी, रजित कपूर, अतुल तिवारी, फिल्म निर्माता-अभिनेता और शशि कपूर के बेटे कुणाल कपूर और अन्य लोग उस भव्य समारोह का हिस्सा बने थे।
उन्होंने कहा था, 'मैं दो से तीन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं; वे सभी एक-दूसरे से अलग हैं। यह कहना मुश्किल है कि मैं कौन सी फिल्म बनाऊंगा। वे सभी बड़े पर्दे के लिए हैं।'
उम्र के साथ आने वाली शारीरिक चुनौतियों के बावजूद श्याम बेनेगल फिल्म निर्माण के अपने जुनून के प्रति आख़िरी समय तक प्रतिबद्ध रहे। उनकी सबसे हालिया फिल्म 2023 की जीवनी पर आधारित 'मुजीब: द मेकिंग ऑफ ए नेशन' थी।
उनकी अन्य उल्लेखनीय कृतियों में 'मंथन', 'भूमिका: द रोल', 'जुनून', 'आरोहन', 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो', 'वेल डन अब्बा', 'मम्मो', 'सरदारी बेगम' और 'जुबैदा' शामिल हैं। सिनेमा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के सम्मान में उन्हें 1976 में पद्मश्री और बाद में 1991 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
अपने शानदार करियर में श्याम बेनेगल ने विविध मुद्दों पर फिल्में, वृत्तचित्र और टेलीविजन धारावाहिक बनाए, जिनमें 'भारत एक खोज' और 'संविधान' शामिल हैं। 'भूमिका', 'जुनून', 'मंडी', 'सूरज का सातवां घोड़ा', 'मम्मो' और 'सरदारी बेगम' जैसी फिल्मों को हिंदी सिनेमा में क्लासिक फिल्मों में गिना जाता है।
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