पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अगले सोमवार को होगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं को पेगासस मामले पर सोशल मीडिया पर बहस नहीं करनी चाहिए।
हालांकि इज़रायली कंपनी का कहना है कि वह सिर्फ सरकार या उसकी एजेंसी को ही पेगासस सॉफ़्टवेअर देती है, सरकार ने संसद में कहा है कि उसने इस स्पाइवेअर के लिए एनएसओ से कौई सौदा नहीं किया है।
पेगासस सॉफ़्टवेअर के ज़रिए जासूसी कराने के मामले की सुनवाई अब अगले मंगलवार को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि मीडिया में छपी खबरें सही हैं तो यह गंभीर मामला है।
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के दो लोगों, कई वरिष्ठ वकीलों के मुवक्क़िलों के फ़ोन नंबर के अलावा एक जज का पुराना फोन नंबर भी एनएसओ के लीक हुए डेटाबेस में पाया गया है।
भारत से इतर कई देशों में पेगासस स्पाइवेयर से कथित जासूसी के मामले में कार्रवाई हो रही है। फ़्रांस की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार एजेंसी एएनएसएसआई ने इसकी पुष्टि की है कि देश के दो पत्रकारों के फ़ोन में पेगासस स्पाइवेयर मौजूद था।
पेगासस सॉफ़्टवेअर के ज़रिए पेरियारवादी कार्यकर्ताओं और तमिल राष्ट्रवादियों की जासूसी भी की गई थी। इस स्पाइवेअर के निशाने पर नाम थामिज़ार काची, थांतीयार पेरियार द्रविड़र कषगम, मई 17 मूवमेंट जैसे संगठनों के लोग थे।
पेगासस सॉफ़्टवेअर के ज़रिए जिन लोगों की जासूसी की गई या जो लोग उसके निशाने पर थे, उनमें सीमा सुरक्षा बल, भारतीय सेना और खु़फ़िया एजेंसी रिसर्च एंड एनलिसिस विंग यानी रॉ के लोग भी हैं।
पेगासस तकनीक के सहारे जासूसी की अंतरराष्ट्रीय ख़बर के बाद इस पर बहस छिड़ गई है कि क्या ऐसी तकनीक की इज़ाज़त किसी रूप में देनी चाहिए जो राज्य के लिए हमारी निजता का पूरी तरह से अतिक्रमण करना इतना आसान बना दे?