पेगासस तकनीक के सहारे जासूसी की अंतरराष्ट्रीय ख़बर के बाद इस पर बहस छिड़ गई है कि क्या ऐसी तकनीक की इज़ाज़त किसी रूप में देनी चाहिए जो राज्य के लिए हमारी निजता का पूरी तरह से अतिक्रमण करना इतना आसान बना दे? आलोचकों का कहना है कि प्रश्न निजता की रक्षा और उसके सम्मान का है।
क्या ऐसी तकनीक होनी चाहिए जो राज्य के लिए निजता का अतिक्रमण करे?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 26 Jul, 2021

अपने बारे में जानकारियों को लेकर इतना संकोच क्यों? और क्या हम यह भी नहीं कहते रहे हैं कि हमें पारदर्शी होना चाहिए? वही अच्छा है जो बाहर और भीतर एक हो? हम ऐसा कुछ करें ही क्यों जिसे लेकर पर्दादारी करनी पड़े? निजता को लेकर दार्शनिक और क़ानूनी बहस होती रही है। मुझे मेरे व्यक्तित्व का अधिकार है, वह अनुल्लंघनीय है। लेकिन मैं एक समाज से घिरा हूँ, नैतिकता, व्यक्तिगत आचरण की जिसकी अपनी नैतिकता है।
दूसरी तरफ एक तबका है जो इससे बेपरवाह है। वह पूछता है, क्या निजता को लेकर इतना परेशान होने की ज़रूरत है? और वह भी इस ज़माने में जब फ़ेसबुक, ट्विटर, गूगल के चलते हमारी बहुत सारी सूचनाएँ पहले ही जगजाहिर हैं?
फिर अपने बारे में जानकारियों को लेकर इतना संकोच क्यों? और क्या हम यह भी नहीं कहते रहे हैं कि हमें पारदर्शी होना चाहिए? वही अच्छा है जो बाहर और भीतर एक हो? हम ऐसा कुछ करें ही क्यों जिसे लेकर पर्दादारी करनी पड़े?