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पेगासस सॉफ़्टवेअर के ज़रिए पेरियारवादी कार्यकर्ताओं और तमिल राष्ट्रवादियों की जासूसी भी की गई थी।
इज़रायली कंपनी एनएसओ के बनाए इस स्पाइवेअर के निशाने पर नाम थामिज़ार काची, थांतीयार पेरियार द्रविड़र कषगम, मई 17 मूवमेंट जैसे संगठनों के लोग थे।
इसके निशाने पर श्रीलंका में तमिलों पर होने वाले कथित अत्याचारों का विरोध करने वाले और देश में भी मानवाधिकारों की बात करने वाले तमिल कार्यकर्ता थे।
इन लोगों के नाम पेगासस प्रोजेक्ट के लीक हुए डेटाबेस मे पाए गए हैं।
फ्रांसीसी मीडिया ग़ैर-सरकारी संगठन फॉरबिडेन स्टोरीज़ ने स्पाइवेअर पेगासस बनाने वाली इज़रायली कंपनी एनएसओ के लीक हुए डेटाबेस को हासिल किया तो पाया कि उसमें 10 देशों के 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों के फ़ोन नंबर हैं।
इनमें से 300 भारतीय हैं। इस संगठन ने 16 मीडिया कंपनियों के साथ मिल कर इस पर अध्ययन किया। इसमें भारतीय मीडिया कंपनी 'द वायर' भी शामिल है।
'द वायर' के मुताबिक़, तमिलनाडु के पेरियारवादी कार्यकर्ता और मई 17 मूवमेंट के सदस्य तिरुमुरुगन गांधी पर 2018 में यूएपीए लगाया गया था।
उन्होंने श्रीलंका में तमिलों पर होने वाले कथित अत्याचारों और तमिलनाडु में स्टर्लाइट कंपनी के ख़िलाफ़ आन्दोलन में एक कार्यकर्ता की मौत के मुद्दे उठाए थे। उन्होंने श्रीलंका के तमिलों का मुद्दा यूरोपीय संसद में भी उठाया था।
गांधी ने 'द वायर' से कहा,
“
सरकार का मक़सद हिन्दुत्व के ख़िलाफ़ उठ रही आवाज़ों को दबाना है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों पर अलोकतांत्रिक ताक़तों का योजनाबद्ध हमला है।
तिरुमुरुगन गांधी, सदस्य, मई 17 मूवमेंट
इसी तरह नाम थामिज़ार काची के सीमैन को भी पेगासस सॉफ़्टवेअर की जासूसी सूची में पाया गया। उनका कहना है कि श्रीलंका में तमिलों की हत्या के ख़िलाफ़ आवाज उठाने की वजह से उनकी जासूसी की गई।
उन्होंने यह भी कहा कि वे इस के बावजूद अपना काम जारी रखेंगे और जुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते रहेंगे।
द्रविडर कषगम से पहले जुड़ने रहने वाले कार्यकर्ता के. रामकृष्णन ने बाद में थनताई पेरियार द्रविडर कषगम की स्थापना की।
उन्होंने 'द वायर' से कहा,
“
यह आपातकाल से बदतर स्थिति है, पहले राज्य हमें आगाह कर देता था कि हमारे ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी, अब तो गुपचुप जासूसी की जाती है।
के. रामकृष्णन, संस्थापक, थनताई पेरियार द्रविडर कषगम
उन्होंने कहा कि थनताई पेरियार द्रविड़र कषगम ने आरएसएस व बीजेपी का विरोध पहले भी किया था और आगे भी करती रहेगी।
द्रविड़र कषगम के कुमारेशन इसके पहले डीएमके और एआईएडीएमके दोनों दलों में काम कर चुके हैं। वे अब चुनावी राजनीति से दूर हैं। उनका कहना है कि वे हिन्दुत्ववादी ताक़तों का विरोध करते रहेंगे।
कुमारेशन ने 'द वायर' से कहा कि यह उनकी निजता पर हमला और उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
पेगासस स्पाइवेयर मामले की जाँच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने को लेकर सीपीएम के एक सांसद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इससे पहले एक वकील ने भी अदालत में याचिका दायर कर ऐसी ही मांग की थी।
प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया सहित पत्रकारों के कई संगठन भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जाँच कराए जाने की मांग कर चुके हैं।
विपक्षी दल के नेता भी संयुक्त संसदीय कमेटी यानी जेपीसी या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जाँच की मांग लगातार कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि सरकार ने न तो स्वीकार किया है और न ही इनकार किया है कि स्पाइवेयर उसकी एजेंसियों द्वारा खरीदा और इस्तेमाल किया गया था।
बता दें कि सरकार ने एक बयान में कहा है कि उसकी एजेंसियों द्वारा कोई अनधिकृत रूप से इन्टरसेप्ट नहीं किया गया है और विशिष्ट लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है।
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