कोरोना और लॉकडाउन की मार से उबर रही अर्थव्यवस्था को जिस रफ़्तार से बढ़ने का अनुमान लगाया गया था उससे भी विकास दर कम रही है। तीसरी तिमाही की विकास दर तो कम रही ही, ओमिक्रॉन के असर से चौथी तिमाही की वृद्धि दर कम रहने का अनुमान लगाया गया है। लेकिन इस बीच यूक्रेन संकट आ गया है और इसका भी असर पड़ना तय माना जा रहा है। ऐसा इसलिए कि दुनिया के कई देश रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और इसके बदले में रूस भी कुछ ऐसा ही रुख अपना रहा है। क्रूड ऑयल की क़ीमतें बढ़ रही हैं और इसका असर डीजल-पेट्रोल के दामों पर भी पड़ेगा। तो सवाल है कि आख़िर किस हद तक इसका प्रभाव पड़ने का अंदेशा है?