चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की शानदार वृद्धि के पीछे क्या है प्रमुख वजहें। जानिए, किन क्षेत्रों की वृद्धि को प्रमुख कारण माना गया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी डेटा यानी एनएसओ ने कहा है कि पिछली तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 7.8% बढ़ा है। इस आँकड़े पर प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर किस आधार पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं?
दुनिया के अमीर से अमीर देशों को भी इस वक्त भारत और चीन में संभावनाएँ क्यों दिख रही हैं? क्या वजह से कि इस मुसीबत के दौर में ये दो देश हैं जो तरक्की की दौड़ में आगे रहेंगे? लेकिन यह तरक्की टिकी रहेगी?
वैश्विक आर्थिक मंदी का असर क्या भारत पर भी काफ़ी ज़्यादा पड़ने वाला है और क्या इसके संकेत अभी से मिलने लगे हैं? जानिए, आईएमएफ़ ने क्या अनुमान लगाया है।
वैश्विक आर्थिक मंदी की आहट के बीच दुनिया की अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब रहने वाली है। हालाँकि दो देशों की अर्थव्यवस्था उम्मीद की किरण की तरह हैं। जानिए, भारत में क्या हालात होंगे।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के बीच जिस भारतीय अर्थव्यवस्था को उम्मीद की किरण बताया जा रहा था, आख़िर उसकी वृद्धि दर का अनुमान लगातार कम क्यों होता जा रहा है?
दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंकाओं के बीच भारत सरकार ने जो आज आर्थिक सर्वे पेश किया है उसमें क्या आकलन पेश किया गया है। जानिए क्या बताए गए हैं हालात।
आर्थिक विकास दर के गिरने की जिस तरह की संभावना पहले जताई जा रही थी, कुछ उसी तरह की रिपोर्ट इस तिमाही में आई है। जानिए, ताज़ा आँकड़े क्या संकेत देते हैं।
क्या भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है? आख़िर इस वित्त वर्ष में जीडीपी के तेज़ गति से बढ़ने के मायने क्या हैं? जितनी उम्मीद थी उतनी तेज़ गति से जीडीपी क्यों नहीं बढ़ा?
बढ़ती महंगाई क्या भारत के आर्थिक विकास की गति को धीमी कर रही है? बढ़ती महंगाई जैसे मुद्दों के बीच विश्व बैंक ने भारत के आर्थिक विकास अनुमान को आख़िर क्यों घटाया?
जीडीपी विकास दर की रिपोर्ट मंगलवार को जारी हुई। इसमें चौथी तिमाही में वह दर गिरकर 4.1 फ़ीसदी तक पहुँच गई। ऐसे में क्या बेतहाशा बढ़ती महंगाई भारत के विकास की गति को बेपटरी कर देगी?