महंगाई अब बहुत महंगी पड़ने लगी है। अब तक तो जनता ही इसकी मार झेल रही थी लेकिन अब लगता है कि सरकार को भी यह डर सता रहा है कि महंगाई कहीं उसे भी महंगी न पड़ जाए। इसी का असर है कि एक के बाद एक एलान हो रहे हैं। पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज़ ड्यूटी घटाने का फैसला। गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन। चीनी के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध। सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट का फैसला। स्टील पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का फैसला। स्टील के कच्चे माल के इंपोर्ट पर ड्यूटी हटाने का फैसला। ये सारे फैसले एक ही दिशा में जाते हैं। महंगाई को किसी तरह मात दी जाए। यानी अब बढ़ते भावों की आंच सत्ता के सिंहासन को भी महसूस हो रही है। महसूस होनी भी चाहिए। खुदरा महंगाई का आंकड़ा आठ साल में सबसे ऊपर पहुंच चुका है और थोक महंगाई का आंकड़ा तेरह महीने से लगातार दो अंकों में है यानी यहां महंगाई बढ़ने की रफ्तार दस परसेंट से नीचे गई ही नहीं है।