लोकसभा के 5 दिवसीय विशेष सत्र की अचानक घोषणा से मोदी सरकार की मंशा पर स्वाभाविक रूप से संदेह पैदा हो गया है। और सरकार द्वारा अपनाई गई गोपनीयता और भी सस्पेंस पैदा करती है. प्रधानमंत्री क्या करते हैं ये एक मिलियन डॉलर सवाल है
खबर है कि फिर एक बड़ा धमाका होनेवाला है। खबर एजेंसी से आई है। एजेंसी सूत्रों का हवाला दे रही है। मगर खबर आने के पहले ही ऐसी हल्ला कैसे? हिंडनबर्ग के अडानी पर इल्जाम लगाने का जो असर हुआ उसे देखकर बाज़ार तो ऐसी खबरों के नाम से ही हिलने लगता है।
यह एक बड़ा दिन है जब सीएजी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाक के नीचे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है। अमित शाह का केंद्रीय गृह मंत्रालय इस सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद नितिन गडकरी का भूतल परिवहन मंत्रालय है। क्या इस रिपोर्ट के बाद कुछ बदलेगा?
यूपी कॉंग्रेस के नए अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि राहुल गांधी अमेठी से लड़ेंगे और डंके की चोट पर जीतेंगे। यही नही प्रियंका चाहें तो वाराणसी से लड़ सकती हैं। क्या अजय राय कॉंग्रेस में नई जान फूंकेंगे? क्या राहुल गांधी सचमुच वापस अमेठी मेें ताल ठोक सकते हैं? आलोक जोशी के साथ सिद्धार्थ कलहंस, बृजेश शुक्ला, सुनील शुक्ला।
बीजेपी चुनाव मोड में आई। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में उम्मीदवारों के नाम का एलान। लेकिन राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया को किनारे लगाया गया। दो समितियों से उन्हें बाहर रखकर क्या पाएगी बीजेपी? क्या यह फैसला मोदी को महंगा पड़ेगा? आलोक जोशी के साथ विजय विद्रोही, विजय त्रिवेदी और अनिल शर्मा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मीडिया का सेल्फ रेगुलेशन नाकाम हो गया है। अदालत ने यह भी कहा कि वो चैनलों पर नियंत्रण के लिए गाइडलाइंस जारी करेगा। सवाल है कि क्या इससे नफरती मीडिया पर रोक लग पाएगी? और फिर अभिव्यक्ति की आज़ादी का क्या होगा? आलोक जोशी के साथ क़मर वहीद नकवी और राहुल देव।
राहुल गांधी तो संसद में लौट आए। लेकिन संजय सिंह गए, अधीर रंजन चौधरी और राघव चड्ढा भी निलंबित हुए। आखिर संसद को किस राह चलाने की तैयारी है? आलोक जोशी के साथ राकेश सिन्हा, शीतल सिंह और मुकेश सिंह।
टमाटर के दाम आसमान कैसे छूने लगते हैं? जब इस पर हाय-तौबा मचती है तो फिर क़ीमतें कम करने के उपाय किए जाते हैं। पहले से इसकी तैयारी क्यों नहीं? सरकार की इस रणनीति से समस्या का हो जाएगा निदान?
केंद्रीय मंंत्री नितिन गडकरी आख़िर किस आधार पर दावा कर रहे हैं कि क़रीब 100 रुपये प्रति लीटर मिलने वाला पेट्रोल 15 रुपये प्रति लीटर मिलने लगेगा? यह कैसे संभव है? गडकरी के पास कौन सी जादू की छड़ी आ गई!
महंगाई बढ़ने की रफ्तार में कमी आई है। दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ के दावे भी किए जा रहे हैं। सवाल यह है कि अमीर-गरीब की खाई को पाटे बिना आप ग्रोथ का फायदा अंतिम आदमी या औरत को कैसे दे पाएंगे। चीजों के दाम सस्ते नहीं हुए हैं। गरीब जनता का सरकारी आंकड़ों से कोई लेनादेना नहीं है। वो ये जानता है कि कि महंगाई कहां कम हुई है। पेश है आर्थिक विशेषज्ञ आलोक जोशी का नजरियाः
दुनिया के अमीर से अमीर देशों को भी इस वक्त भारत और चीन में संभावनाएँ क्यों दिख रही हैं? क्या वजह से कि इस मुसीबत के दौर में ये दो देश हैं जो तरक्की की दौड़ में आगे रहेंगे? लेकिन यह तरक्की टिकी रहेगी?
क्रेडिट स्विस बैंक का डूबना क्या भारत के लिए सिलिकॉन वैली बैंक के मुक़ाबले काफी बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है? जानिए, भारतीय बैंकों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
जी 20 यानी 19 देशों और यूरोपीय संघ को मिलाकर बने इस संगठन के इतिहास में सत्रह साल बाद भारत को इसकी मेजबानी का मौका क्यों मिला। इतने साल आख़िर क्यों लग गए?
नवंबर और दिसंबर में महंगाई कम होती दिखी थी तो क्या मुसीबत टल गई है? जनवरी में फिर से महंगाई बढ़ने और रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के क्या मायने हैं?